जब सुन्न हो जाता है कोई अंग
महसूस नहीं होता कुछ भी
न पीड़ा न उसका अहसास
बस कुछ ऐसी ही स्थिति में
मेरी सोच
मेरे ह्रदय के स्पंदन
सब भावनाओं के ज्वार सुन्न हो गए हैं
अंग सुन्न पड़ जाए तो
उस पर दबाव डालकर
या सहलाकर
या सेंक देकर
रक्त के प्रवाह को दुरुस्त किया जाता है
जिससे अंग चलायमान हो सके
मगर
जहाँ मन और मस्तिष्क
दोनों सुन्न पड़े हों
और उपचार के नाम पर
सिर्फ अपना दम तोड़ता वजूद हो
न खुद में इतनी सामर्थ्य
कि दे सकें सेंक किसी आत्मीय स्पर्श का
न ऐसा कोई हाथ जो
सहला सके रिश्ते की ऊष्मा को
या आप्लावित कर सके
रिक्तता को स्नेहमयी दबाव से
फिर कैसे संभव है
खुद -ब -खुद बाहर आना
सूने मन के , तंग सोच के
सुन्न पड़े दायरे से ...............
महसूस नहीं होता कुछ भी
न पीड़ा न उसका अहसास
बस कुछ ऐसी ही स्थिति में
मेरी सोच
मेरे ह्रदय के स्पंदन
सब भावनाओं के ज्वार सुन्न हो गए हैं
अंग सुन्न पड़ जाए तो
उस पर दबाव डालकर
या सहलाकर
या सेंक देकर
रक्त के प्रवाह को दुरुस्त किया जाता है
जिससे अंग चलायमान हो सके
मगर
जहाँ मन और मस्तिष्क
दोनों सुन्न पड़े हों
और उपचार के नाम पर
सिर्फ अपना दम तोड़ता वजूद हो
न खुद में इतनी सामर्थ्य
कि दे सकें सेंक किसी आत्मीय स्पर्श का
न ऐसा कोई हाथ जो
सहला सके रिश्ते की ऊष्मा को
या आप्लावित कर सके
रिक्तता को स्नेहमयी दबाव से
फिर कैसे संभव है
खुद -ब -खुद बाहर आना
सूने मन के , तंग सोच के
सुन्न पड़े दायरे से ...............
14 टिप्पणियां:
आत्मीयता ही इस पक्षपात में ऊर्जा ला सकती है।
संभव है..और सम्भव ही नहीं यह तो हो ही रहा है..सुन्न होने का अहसास होते ही सब सचेत होने लगता है...
मन को छू जाने वाले भाव।
बधाई।
............
एक विनम्र निवेदन: प्लीज़ वोट करें, सपोर्ट करें!
सुन्न पड़े दायरे ..............बहुत सही कहा आपने ....
इसी आशा के साथ कि सुन्न हुए हिस्सों पर वक्त ही महरम बन कर काम करे तो करे ...गहन भाव लिए हुए लेखनी
मुश्किल तो है .....पर खुद को निकालना पड़ता है इस दायरे से .... अपनी ही सोचों की ऊर्जा से , भावभीनी अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद!
BEHTAREEN PESHKASH
BEHTAREEN PESHKASH
तलाश है ऐसे स्पर्श की जो सुन्न अंग में ऊर्जा प्रस्फुटित कर सके..अंतस को छूती रचना..
सुन्न पड़े दायरे..कैसे पाटे हम
वाह बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सुन्दर..हर संवेदनशील व्यक्ति का यही हाल है.
तुम्हारी रचनाएँ कुछ कमेंट्स के मोहताज नहीं ........... जब भी पढ़ती हूँ - ठिठक जाती है दृष्टि,सोच .... बहुत कुछ स्पष्ट होता है,जिसे समझा जा सकता है .... उसके असर को हुबहू व्यक्त करना मुश्किल होता है कई बार
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