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रविवार, 16 मार्च 2014

कहो तो ……ओ फ़ागुन




रंगों के इंद्रधनुष बनते ही नहीं 
फिर होली का सुरूर कैसे चढ़े 

पिया सांवरे मदमाते ही नहीं 
फिर गोरिया की होली कैसे मने 

पिचकारी प्रेम की चलाते ही नहीं 
फिर लाज का घूंघट कैसे हटे 

कहो तो ……ओ फ़ागुन 

हो हो हो होली कैसे मने 
अबकी प्रीत परवान कैसे चढ़े 

सजनिया कृष्ण बिन राधा कैसे बने 
हो हो हो होली कैसे मने 

5 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

कृष्ण रंग तू रंगी राधिका होली की क्या दरकार,
तेरा जीवन खुद होली रंग राधिका की क्या तकरार

होली फ़िर से मुबारक हो दोस्त

दिगम्बर नासवा ने कहा…

होली कि तयारी रखिये ... प्रभु जरूर आयेंगे ...
बधाई इस पर्व की ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बिन कान्हा कैसे हो होली।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...सामयिक और सुन्दर पोस्ट.....आप को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम

Kailash Sharma ने कहा…

कान्हा जब तुम आ जाओ होली...होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!