दोस्तों अभी अभी जाने क्या हुआ जो भाषा सिर्फ़ सुनी भर है उसे जानती भी नहीं उसमें भाव उमड आये , अब इसे क्या कहूँ समझ नही आता कोई कुदरत का ही चमत्कार है शायद क्योंकि पंजाबी सिर्फ़ सुनी है बाकि मेरा तो सारा माहौल ही हिन्दी का है पढ्ना तो बहुत दूर की बात है फिर भी ये भाव उभरे तो लगा किसी जानकार को दिखा देनी चाहिये कहीं कुछ गलत न लिख दिया हो तो पंजाबी के जानकार अमरजीत कौंके जी को दिखायी तो उन्होने बताया सिर्फ़ पिया शब्द को पीत्ता कर दें बाकि सब सही है तो खुद को भी आश्चर्य हुआ कि ये हुआ कैसे …………फिर उन्होने इसे गुरुमुखी में लिख कर भेजा जिसे ऐसा का ऐसा लगा रही हूँ 
मैं
मैं
इश्क कटोरा पीत्ता भर भर 
फिर भी रह गयी प्यासी वे 
ओ मेरे राँझेया मैं तेरी हीर वे 
जिन जपया साँस विच तेरा नाम वे 
फेर क्यूँ जल विच मीन प्यासी वे 
मैं 
इश्क कटोरा पीत्ता  भर भर 
फिर भी रह गयी प्यासी वे 
रूहां ते मैं टुकड़े कर दित्ते 
टुकड़ों विच मैं राँझा लिख दित्ता 
ते फेर कौन फकीरा जुदा कर दित्ता 
जे मैं हो गयी खुद से बेगानी वे 
मैं 
इश्क कटोरा पीत्ता  भर भर 
फिर भी रह गयी प्यासी वे 
दिल दा तुझे खुदा बनाया 
तेरे नाम दा  सज़दा कित्ता 
और न द्वारे सर ये झुकता 
फेर क्यूँ न मिलया तेरा नज़ारा वे 
मैं 
इश्क कटोरा पीत्ता भर भर 
फिर भी रह गयी प्यासी वे 
तू मेरा माही तू ही पैगम्बर 
तू ही मेरा इक्को रब्बा वे 
तेरे लए  मैं दुनिया छड दी 
फेर क्यूँ न इश्क परवान चढ्या वे 
मैं 
इश्क कटोरा पीत्ता  भर भर 
फिर भी रह गयी प्यासी वे 
अंक्खां  विच चनाब  है वसदा 
तेरे नाम दियां डुबकियां लगांदा 
तेरे नाम दे ख़त है लिख्दां 
फेर क्यूँ न तेरा जवाब आंदा वे 
मैं 
इश्क कटोरा पीत्ता भर भर 
फिर भी रह गयी प्यासी वे 
अब इसे पढ़िए गुरुमुखी में अमरजीत कौंके द्वारा अनुवाद करके भेजी गयी है हार्दिक आभारी हूँ उनकी 
ਮੈਂ 
ਇਸ਼ਕ ਕਟੋਰਾ ਪੀਤਾ 
ਭਰ ਭਰ 
ਫਿਰ ਵੀ ਰਹਿ ਗਈ 
ਪਿਆਸੀ ਵੇ 
ਓ ਮੇਰੇ ਰਾਂਝਿਆ 
ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਹੀਰ ਵੇ 
ਜਿਹਨੇ ਜਪਿਆ ਹੈ
 ਸਾਹਾਂ ਨਾਲ 
ਤੇਰਾ ਨਾਮ ਵੇ 
ਫਿਰ ਕਿਓਂ ਜਲ ਵਿਚ 
ਮੀਨ ਪਿਆਸੀ ਵੇ 
ਮੈਂ 
ਇਸ਼ਕ ਕਟੋਰਾ ਪੀਤਾ 
ਭਰ ਭਰ 
ਫਿਰ ਵੀ ਰਹਿ ਗਈ 
ਪਿਆਸੀ ਵੇ 
ਰੂਹਾਂ ਦੇ ਮੈਂ ਟੁਕੜੇ ਕਰ ਕੇ 
ਉੱਤੇ ਰਾਂਝਾ ਲਿਖ ਦਿਤਾ 
ਫਿਰ ਕਿਸ ਫ਼ਕੀਰ ਨੇ 
ਪਾਈ ਜੁਦਾਈ 
ਤੇ ਮੈਂ ਹੋ ਗਈ ਖੁਦ ਤੋਂ ਬੇਆਸੀ ਵੇ 
ਦਿਲ ਦਾ ਖੁਦਾ ਬਣਾਇਆ ਤੈਨੂੰ 
ਤੇਰੇ  ਨਾਮ ਦਾ ਸਜਦਾ ਕੀਤਾ
 ਹੋਰ ਦਵਾਰੇ ਸਿਰ ਨਾ ਝੁਕਦਾ 
ਫਿਰ ਕਿਓਂ ਨਾ ਮਿਲਿਆ 
ਤੇਰਾ ਨਜ਼ਾਰਾ ਵੇ 
ਮੈਂ 
ਇਸ਼ਕ ਕਟੋਰਾ ਪੀਤਾ 
ਭਰ ਭਰ 
ਫਿਰ ਵੀ ਰਹਿ ਗਈ 
ਪਿਆਸੀ ਵੇ 
ਤੂੰ ਮੇਰਾ ਮਾਹੀ 
ਤੂੰ ਹੀ ਪੈਗੰਬਰ 
ਤੂੰ ਹੀ ਮੇਰਾ ਇੱਕੋ ਰੱਬਾ ਵੇ 
ਤੇਰੇ ਲਈ ਮੈਂ ਦੁਨੀਆਂ ਛਡ ਦਿਤੀ 
ਫੇਰ ਕਿਓਂ ਨਾ ਇਸ਼ਕ 
ਪਰਵਾਨ ਚੜਿਆ 
ਵੇ ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਝਨਾਂ ਹੈ ਵੱਸਦਾ 
ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਦੀਆਂ ਚੁਭੀਆਂ ਲਾਉਂਦਾ 
ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਦੇ ਖ਼ਤ ਹੈ ਲਿਖਦਾ 
ਫੇਰ ਕਿਓਂ ਨਹੀਂ ਤੇਰਾ ਜਵਾਬ ਆਉਂਦਾ..
ਮੈਂ 
ਇਸ਼ਕ ਕਟੋਰਾ ਪੀਤਾ 
ਭਰ ਭਰ 
ਫਿਰ ਵੀ ਰਹਿ ਗਈ 
ਪਿਆਸੀ ਵੇ
फिर भी कोई कमी रह गयी हो तो बताइयेगा 

7 टिप्पणियां:
वाह !क्या मनोभावों में कोमलता !
वाह !क्या मनोभावों में कोमलता !
वाह !क्या मनोभावों में कोमलता !
वन्दना जी, बहुत सुंदर पंजाबी में लिखा है आपने...बधाई !
आपकी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल सोमवार (24-03-2014) को ''बोलते शब्द'' (चर्चा मंच-1568) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
आपकी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल सोमवार (31-03-2014) को ''बोलते शब्द'' (चर्चा मंच-1568) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (31-03-2014) को "'बोलते शब्द'' (चर्चा मंच-1568) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नवसम्वतसर २०७१ की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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