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शनिवार, 25 अक्तूबर 2014

अम्बर तो श्वेताम्बर ही है

रंगों को नाज़ था अपने होने पर
मगर पता ना था
हर रंग तभी खिलता है
जब महबूब की आँखों में
मोहब्बत का दीया जलता है
वरना तो हर रंग 
सिर्फ एक ही रंग में समाहित होता है
शांति दूत बनकर .........
अम्बर तो श्वेताम्बर ही है 
बस महबूब के रंगों से ही
इन्द्रधनुष खिलता है
और आकाश नीलवर्ण दिखता है ...........मेरी मोहब्बत सा ...है ना !!

6 टिप्‍पणियां:

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति.
इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 26/10/2014 को "मेहरबानी की कहानी” चर्चा मंच:1784 पर.

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 26/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

अजय कुमार झा ने कहा…

हमेशा की तरह बहुत ही उम्दा

Sanju ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति...
आभार।

सदा ने कहा…

अम्‍बर तो श्‍वेताम्‍बर ही ...बेहतरीन प्रस्‍तुति