पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

बुधवार, 11 जुलाई 2018

फिर भी जिंदा हूँ

मेरे पास उम्मीद की
कोई सड़क नहीं
कोई रास्ता नहीं
कोई मंजिल नहीं
फिर भी जिंदा हूँ

मेरे पास मोहब्बत का
कोई महबूब नहीं
कोई खुदा नहीं
कोई ताजमहल नहीं
फिर भी जिंदा हूँ

मेरे पास जीने की
कोई वजह नहीं
कोई आस नहीं
कोई विश्वास नहीं
फिर भी जिंदा हूँ

मेरे पास खोने को
कोई दिल नहीं
कोई दुनिया नहीं
कोई ख्वाब नहीं
फिर भी जिंदा हूँ

दीवानगी के शहर का इससे हसीन मंज़र भला और क्या होगा...

©वन्दना गुप्ता vandana gupta

2 टिप्‍पणियां:

devendra gautam ने कहा…

दिल को छूती हुई नज़्म....बहुत खूब

Anita ने कहा…

जीवित होना और अपने होने का अहसास होना इससे बढ़कर भला और क्या हो सकता है..जिनके पास आशाओं के दीप जले हैं उन्हेें भी खुद के होने की खबर कहाँ होती है