bahut khub
साथ मिल जाये, दिल भी मिल जाये,ऐसे कम खुश-नसीब होते हैं। चाहे इसको सजा, कहो या मजा,रिश्ते बिल्कुल अजीब होते हैं।
बहुत दर्द निहित है इसमें!---चाँद, बादल और शाम
जिंदगी साथ होते हुए भी तन्हा...आखिर क्यों?शेर अर्ज किया है-किस दौर में जिंदगी बशर की हैकि वो इस तरह बीमार की रात हो गई.
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5 टिप्पणियां:
bahut khub
साथ मिल जाये,
दिल भी मिल जाये,
ऐसे कम खुश-नसीब होते हैं।
चाहे इसको सजा,
कहो या मजा,
रिश्ते बिल्कुल अजीब होते हैं।
साथ मिल जाये,
दिल भी मिल जाये,
ऐसे कम खुश-नसीब होते हैं।
चाहे इसको सजा,
कहो या मजा,
रिश्ते बिल्कुल अजीब होते हैं।
बहुत दर्द निहित है इसमें!
---
चाँद, बादल और शाम
जिंदगी साथ होते हुए भी तन्हा
...आखिर क्यों?
शेर अर्ज किया है-
किस दौर में जिंदगी बशर की है
कि वो इस तरह बीमार की रात हो गई.
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