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मंगलवार, 9 सितंबर 2008

हर सितम सहूंगी उसके ये इकरार करती हूँ
इसे बेबसी कहूं या क्या कहूं,क्यूंकि
मैं उससे प्यार करती हूँ
जो गम दिए हैं मेरे देवता ने
मैं उनका आदर करती हूँ
उस सौगात का अनादर नही कर सकती,क्यूंकि
मैं उनकी पूजा करती हूँ
पुजारिन हूँ तुम्हारी में
बस इतना चाहती हूँ
मेरे मन मन्दिर में मेरे देवता
हर पल हर दिन बसे रहना
नही मांगती तुमसे कुछ मैं
मुझसे पूजा का अधिकार न लेना

2 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

मेरे मन मन्दिर में मेरे देवता
हर पल हर दिन बसे रहना
नही मांगती तुमसे कुछ मैं
मुझसे पूजा का अधिकार न लेना
क्या बात है ?

Advocate Rashmi saurana ने कहा…

kya baat hai vandana ji. bhut badhiya. likhti rhe.