हर सितम सहूंगी उसके ये इकरार करती हूँ
इसे बेबसी कहूं या क्या कहूं,क्यूंकि
मैं उससे प्यार करती हूँ
जो गम दिए हैं मेरे देवता ने
मैं उनका आदर करती हूँ
उस सौगात का अनादर नही कर सकती,क्यूंकि
मैं उनकी पूजा करती हूँ
पुजारिन हूँ तुम्हारी में
बस इतना चाहती हूँ
मेरे मन मन्दिर में मेरे देवता
हर पल हर दिन बसे रहना
नही मांगती तुमसे कुछ मैं
मुझसे पूजा का अधिकार न लेना
2 टिप्पणियां:
मेरे मन मन्दिर में मेरे देवता
हर पल हर दिन बसे रहना
नही मांगती तुमसे कुछ मैं
मुझसे पूजा का अधिकार न लेना
क्या बात है ?
kya baat hai vandana ji. bhut badhiya. likhti rhe.
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