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शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

कुच्छ तो कहें
किसी से तो कहें
दिल की बातें
यूँ ही हर किसी से
तो नही कही जाती
कुच्छ बातें
सिर्फ़ दिल से ही
की जाती हैं
कहने को तो
बहुत कुच्छ
होता है
मगर..........
किस से कहें
इसका जवाब ही
नही मिल पाता है
कुच्छ कहना
चाहकर भी
दिल कुच्छ
नही कह पाता है
इस बेबसी को सिर्फ़
वो दिल ही जान पाता है
जो कुच्छ कहने
और न कहने की
उलझन में
उलझता जाता है

5 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अपने मनोभावो को बहुत सुन्दर शब्द दिए है।बधाई।

Bahadur Patel ने कहा…

kuchh to kahana hoga.sundar hai.

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

बिल्कुल सही फ़रमाया आपने दिल ही समझता है इस बेबसी को
दिल और मन तक़रीबन एक दुसरे थोड़े जुड़े हुए हैं दिल की बात मन नही ठुकराता पर दिल मन काबू नही कर पाता
इसलिए थोडी परेशानी होती है ...............
बहुत अच्छा लिखा है आपने..........
लिखते रहिये
बहुत उम्दा............

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आने के लिए
आप
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !!
इस पर क्लिक कीजिए
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन

sandhyagupta ने कहा…

Bahut achche.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 15/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!