कुच्छ तो कहें
किसी से तो कहें
दिल की बातें
यूँ ही हर किसी से
तो नही कही जाती
कुच्छ बातें
सिर्फ़ दिल से ही
की जाती हैं
कहने को तो
बहुत कुच्छ
होता है
मगर..........
किस से कहें
इसका जवाब ही
नही मिल पाता है
कुच्छ कहना
चाहकर भी
दिल कुच्छ
नही कह पाता है
इस बेबसी को सिर्फ़
वो दिल ही जान पाता है
जो कुच्छ कहने
और न कहने की
उलझन में
उलझता जाता है
5 टिप्पणियां:
अपने मनोभावो को बहुत सुन्दर शब्द दिए है।बधाई।
kuchh to kahana hoga.sundar hai.
बिल्कुल सही फ़रमाया आपने दिल ही समझता है इस बेबसी को
दिल और मन तक़रीबन एक दुसरे थोड़े जुड़े हुए हैं दिल की बात मन नही ठुकराता पर दिल मन काबू नही कर पाता
इसलिए थोडी परेशानी होती है ...............
बहुत अच्छा लिखा है आपने..........
लिखते रहिये
बहुत उम्दा............
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आने के लिए
आप
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !! इस पर क्लिक कीजिए
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन
Bahut achche.
आज 15/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
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