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रविवार, 12 जुलाई 2009

दिल की खोज

उदास है दिल
न जाने क्यूँ
किसे खोजता है
किसकी तलाश है
शायद ये भी अब
किसी गहरे
सागर में डूब
जाना चाहता है
शायद ये भी
सागर की तलहटी में
छुपे किसी अनमोल
मोती की तलाश में है
या फिर शायद
ये भी सागर के अंतस की
अनन्त गहराई में
खो जाना चाहता है
जहाँ खुद को पा सके
कुछ पल अपने लिए
सुकून के खोज सके
आख़िर दिल दिल ही है
कब तक सब कुछ झेलेगा
कभी तो खुद को भी टटोलेगा
कभी तो अपने को भी खोजेगा
इस दिल की पीड़ा को
कोई क्या समझेगा
दिल भी आख़िर दिल ही है
कभी तो जीना सीखेगा
कब तक खिलौना बन भटकेगा
अब तो खुद के लिए भी
एक किनारा ढूंढेगा
कहीं तो ठोर पायेगा
और तब शायद
उसका वजूद भी
उसमें ही सिमट जाएगा


13 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आशा और निराशा,
दोनों साथ-साथ चलती हैं।
अंधियारे में भी चमकीली,
किरण कोई मिलती है।।

मन में हो विश्वास तभी,
तो ठौर-ठिकाना मिलता है।
वीराने उपवन में भी तो,
फूल कभी खिलता है।।

होगा यदि अस्तित्व,
किनारा मिल ही जायेगा।
डूब गया जब पोत,
सहारा किसका वो पायेगा।।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आशा और निराशा,
दोनों साथ-साथ चलती हैं।
अंधियारे में भी चमकीली,
किरण कोई मिलती है।।

मन में हो विश्वास तभी,
तो ठौर-ठिकाना मिलता है।
वीराने उपवन में भी तो,
फूल कभी खिलता है।।

होगा यदि अस्तित्व,
किनारा मिल ही जायेगा।
डूब गया जब पोत,
सहारा किसका वो पायेगा।।

M VERMA ने कहा…

तलाश सागर की गहराई तक
बहुत खूबसूरत तलाश है मोती मिलेगा ही.

और फिर ठौर का मिलना तो तय ही है.
बहुत खूब

निर्मला कपिला ने कहा…

क्या सुन्दर अभव्यक्ति है दिल क्य है क्यों है कैसा है क्या चाहता है क्योम उदास होता है क्यों खुश होता है ये शायद ये खुद भी नहीं जानता तभी तो इसे हर वक्त तलाश रहती है किसी न किसी प्रश्न की बहुत बदिया रचना बधाई

Prem Farukhabadi ने कहा…

अब तो खुद के लिए भी
एक किनारा ढूंढेगा
कहीं तो ठोर पायेगा
और तब शायद
उसका वजूद भी
उसमें ही सिमट जाएगा

वंदना जी ,
बहुत खूबसूरत ख्याल.दिल से बधाई !!!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा रचना!

Razi Shahab ने कहा…

bahut achcha

सुशील छौक्कर ने कहा…

बडे दिल से लिखे है दिल के जज्बात।

Sushil Kumar ने कहा…

अति सुन्दर। क्या लिखा है वंदना आपने। ऐसे लिखते रहें।

Vinay ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है
---
श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

दिल भी आख़िर दिल ही है
कभी तो जीना सीखेगा
nicely written vandana ji....
dil ko chhu gaya...
keep rolling...

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है * * * * * * (five star to your best poem)
आभार/मगलभावो के साथ
मुम्बई टाइगर
हे प्रभु तेरापन्थ खान

admin ने कहा…

ye khoj jaldi se jaldi poori ho.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }