ज़िन्दगी
तू एक अबूझ पहेली है
जितना सुलझाओ
उतनी उलझती है
कभी पास लगती है
तो कभी दूर
इतनी दूर
कि जिसका
पार नही मिलता
ज़िन्दगी
तू एक ख्वाब है
कभी सब सच लगता है
तो कभी ख्वाब सी
टूटती बिखरती है
ज़िन्दगी
तू एक मौसम है
कभी बसंत सी महकती है
तो कभी शिशिर सी
जकड़ती है
कभी सावन सी
रिमझिम बरसती है
तो कभी ग्रीष्म सी
दहकती है
ज़िन्दगी
तू एक भंवर है
जिसके अथाह जल में
हर घुमाव पर
सिर्फ़ और सिर्फ़
डूबना ही है
अनन्त में
खोने के लिए
ज़िन्दगी
तू सिर्फ़ ज़िन्दगी है
न ख़ुद जीती है कभी
न रूकती है कभी
बस सिर्फ़ और सिर्फ़
चलती ही रहती है
एक अनदेखी
अनजानी
दिशा की ओर
मंजिल की तलाश में
और मंजिल
रेगिस्तान में पानी के
चश्मे की तरह
बस कुछ दूर और
कुछ दूर और
दिखाई देती है
मगर
न रेगिस्तान में
कभी पानी मिलता है
और न ही कभी
ज़िन्दगी को मंजिल
सच ज़िन्दगी
तू एक अबूझ पहेली है
17 टिप्पणियां:
सच्चे शब्दों में बंधी,
जमीन से जुड़ी सच्ची रचना के लिए,
बधाई!
हकीकत से आँखें मिलाती और जिन्दगी के कई रंगों से साक्षात्कार कराती आपकी यह रचना प्रशंसनीय है। वाह वन्दना जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
jindagi ek aisi hi hoti hai .....kabhi kahi kuchh achhchha dikhati hai jindgi par usaki umar bahut hi kam hoti hai .......aisi halat me mujhe aisa hi lagata hai ki jindgi ek abhujha paheli hai.....bahut hi sundar abhiwyakti
जिदंगी के कितने ही रुपों को सुन्दर शब्दों से कह दिया। जिदंगी एक अबूझ पहेली है और इस पहेली को सुलझाते सुलझाते पूरी जिदंगी बीत जाती है और हाथ कुछ आता नही। वैसे जिदंगी मुस्कराने का नाम भी है बस जब तक हो मुस्कराते जाओ। जिससे ऊपर वाला भी सोच में पड जाए। शुक्रिया।
ज़िन्दगी
तू एक भंवर है
जिसके अथाह जल में
हर घुमाव पर
सिर्फ़ और सिर्फ़
डूबना ही है
अनन्त में
खोने के लिए
bahut sundar bhav !
बहुत सुन्दर रचना!! बधाई.
जिंदगी के बारे में आपने बहुत कुछ कहा ...अच्छा लगा पढ़कर
bahut sunder rachana,yahi alag roop hai zindagi ke.
"Sadiyon se anbujh rahee hai tu.."!
Agar meree ye rachna apne blog pe khoj payee to aapko arpan..!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://laliylekh.blogspot.com
http://aajyakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
ज़िन्दगी
तू एक अबूझ पहेली है
जितना सुलझाओ
उतना उलझती है
===========
पर ये भी तो सही है कि उलझन मे उलझे बिना उलझन नही सुलझती.
========
ज़िन्दगी की सच्चाईयो को उकेरती इस सुन्दर रचना के लिये बधाई.
जिदगी..जिदगी...ज़िंदगी,
ज़िंदगी, ज़िंदगी, ज़िंदगी....!
कैसे कहूँ तुझसे ,
मेरे क़दम भी तेरे ,
ज़मीं भी तू क़दमों तले,
फिरभी क्यों करके ,
खिसक जाती है तलेसे ?
क्योंकर खुदको खुदसे,
सज़ा देती है तू ?
बेहद थक गयी हूँ,
पहेलियाँ ना बुझवा तू,
इतनी क़ाबिल नही,
इक अदना-सा ज़र्रा हूँ,
कि तेरी हर पहेली,
हरबार सुलझा सकूँ......
के सदियोंसे अनबुझ
रहती आयी है तू......
जो अक्षर लगे थे ,
कभी रुदन विगत के,
या बयाँ वर्तमान के,
क्या पता था, वो मेरे,
आभास थे अनागातके ?
मेरा इतिहास दोहराके,
क्या पा रही रही है तू?
क्या बिगाडा तेरा के,
ये सब कर रही है तू?
कुटिल-सी मुस्कान लिए,
इस्क़दर रुला रही है तू?
जानती हूँ, दरपे तेरे,
कोई ख़ता काबिले,
माफ़ी हरगिज़ नही,
पर ये ख़ता, की है तूने...
इतिहास हरबार दोहराए,
जा रही तू, और मुझे,
ख़तावार ठहरा रही है तू??
ज़िंदगी क्या कर रही है तू??
किस अदालातमे गुहार करुँ,
हर द्वार बंद कर रही तू??
कितनी अनबुझ पहेली,
युगोंसे रही है तू...!!!
Ye kuchh maah poorv likhi rachnaa,jo,meree ek malika ka hissa thee,apko arpit!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogsot.com
http://lalilekh.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
ati uttam rachna vandana ji....
bahut achi abhivyakti hai aapki....
keep writing....
ज़िन्दगी पहेली है,पर बहुत सारे हल मिल जाते हैं कभी.......
सच मे ही ज़िन्दगी एक अबूझ पहली है जितना भी सुल्झने की कोशिश करो और उलझ जाती है बहुत बडिया रचना आभार्
ज़िन्दगी
तू एक भंवर है
जिसके अथाह जल में
हर घुमाव पर
सिर्फ़ और सिर्फ़
डूबना ही है
अनन्त में
खोने के लिए
bahut sundar...
sahi kaha vandana , aaj ke daur me ye ek satya hai ...
namaskar
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
adbhut.....................
bahut khub................
wat's a line..........
एक टिप्पणी भेजें