ब्लॉग जगत में सबने इसलिए कदम रखा था कि न यहाँ किसी की स्वीकृति की जरूरत है और न प्रशंसा की. सब कुछ बड़े चैन से चल रहा था कि अचानक खतरे की घंटी बजी कि अब इसमें भी दीवारें खड़ी होने वाली हैं. जैसे प्रदेशों को बांटकर दो खण्ड किए जा रहें हैं, हम सबको श्रेष्ट और कमतर की श्रेणी में रखा जाने वाला है. यहाँ तो अनुभूति, संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति से अपना घर सजाये हुए हैं . किसी का बहुत अच्छा लेकिन किसी का कम, फिर भी हमारा घर हैं न. अब तीसरा आकर कहे कि नहीं तुम नहीं वो श्रेष्ठ है तो यहाँ पूछा किसने है और निर्णय कौन मांग रहा है?
हम सब कल भी एक दूसरे के लिए सम्मान रखते थे और आज भी रखते हैं ..
अब ये गन्दी चुनाव की राजनीति ने भावों और विचारों पर भी डाका डालने की सोची है. हमसे पूछा भी नहीं और नामांकन भी हो गया. अरे प्रत्याशी के लिए हम तैयार हैं या नहीं, इस चुनाव में हमें भाग लेना भी या नहीं , इससे हम सहमत भी हैं या नहीं बस फरमान जारी हो गया. ब्लॉग अपने सम्प्रेषण का माध्यम है,इसमें कोई प्रतिस्पर्धा कैसी? अरे कहीं तो ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई प्रतियोगिता न हो, जहाँ स्तरीय और सामान्य, बड़े और छोटों के बीच दीवार खड़ी न करें. इस लेखन और ब्लॉग को इस चुनावी राजनीति से दूर ही रहने दें तो बेहतर होगा. हम खुश हैं और हमारे जैसे बहुत से लोग अपने लेखन से खुश हैं, सभी तो महादेवी, महाश्वेता देवी, शिवानी और अमृता प्रीतम तो नहीं हो सकतीं . इसलिए सब अपने अपने जगह सम्मान के योग्य हैं. हमें किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं है.
19 टिप्पणियां:
जलजले आये कई ,और कई चले गए
हम अपनी ब्लोगिंग लिए ,पर यहीं अड़े रहे.
लाख कर ले कोई जुगत डालने की फूट यहाँ
जलजला रह जायेगा बस बनकर बुलबुला यहाँ
इस जलजले के लिए इस प्रकार की पोस्टें भी मत लिखिए। इसकी टिप्पणियों को भी डिलीट करिए। ये नफरत और वैमनस्य का वो अंकुर है जो जहर ही उगलता है।
ब्लागजगत में ऎसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जिनके पास बुद्धि बहुत थोडी लेकिन समय बहुत ज्यादा है...ये श्रीमान जलजला भी उसी फालतू श्रेणी के जीव हैं...
बिलकुल यही मेरे ख्याल भी हैं मैम, मुझे तो ये किसी कॉमिक्स का खलनायक लगता है..जो फिर से सबको झगडाने आया है..
भलाई का जमाना ही नहीं रहा ।
यह जलजला दुत्कार के भी काबिल नहीं है बस भीतर ही भीतर तय कर लें कि इसकी टिप्पणी जहां भी दिखलाई देगी सब इसे डिलीट कर देंगे।
सादर वन्दे !
जी बिलकुल! आपने सही कहा!
रत्नेश त्रिपाठी
जलजला कब रूका है चला जायेगा
nice post
छद्म वेश में क्या कोई जलजला लाएगा
हमारी एकता से बस मुंह की खायेगा .
मूसल चन्द बन जो दाल भात के बीच आएगा
हम सबके सामने वो यूँ ही पिस जाएगा
आप सब महिला ब्लोगरों ने यह एक उत्तम काम किया ! पहले तो आपसे यह कहूंगा कि इसके क्षद्म नाम के आगे 'जलजला जी" जैसा संबोधन उचित नहीं है क्योंकि यह भी एक निहायत घटिया और गिरी हरकत उस ख़ास विरादरी "...." की ही है, जो इस ब्लॉग जगत में कुछ समय से गंध फैलाए है ! इन कायरों का काम ही मुखौटे लगा कर लोगो को छलना है ! यह निखिल तथा राहुल नाम से भी टिपण्णी करता है, अगर यह इतना ही अपने को बुद्धिजीवी समझता तो इस तरह की ठेकेदारी न कर अपने ब्लॉग पर कुछ रचनात्मक लिखता, मगर इनके पास कुछ रचनात्मक हो तो ये लिखे , इनकी पैदाइश ही डिस्ट्रक्शन से हुई अत: इनसे Constructive की उम्मीद भी मत रखिये और इनको भाव देने की मैं समझता हूँ कि कोई जरुरत नहीं !
महिला शक्ति को प्रणाम और नमन ...
परजीवी हैं और क्या करेंगे वेचारे
खेदजनक
आपसे सहमत ।
जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html और जलजला गुजर गया।
एकदम सही कहा....
छोटी सी उमर में हमने ऐसे कई जलजले देखे है ...आये है आते रहेंगे ,,,,उनका आना समस्या नहीं ,,,// समस्या है उनका प्रत्यक्ष या गुप्त रूप से साथ देना ....अगर उनका विरोध करे तो ......खुद ही मुह की खा कर चले जायेंगे ......इस बार आपने सामना किया ,जलजला चला गया ....अच्छा लगा ..आगे भी हमें सतर्क रहना पड़ेगा
अब तो जलजला ने माफी माँग ली है!
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