खुदा ने दिल रक्त संवहन के लिए दिया था कि शुद्ध रक्त और अशुद्ध रक्त का यही एक मार्ग होगा लेकिन हमने उसे भावनाओं से जोड़ लिया। अब बेचारा खुदा शरीर का ध्यान रखे या मन का? हा हा हा हा। आदमी ने तो भारी घालमेल कर दी है। मजाक कर रही हूँ, अच्छी अभिव्यक्ति है, बधाई।
ehsaas se hi, ehsas me hi, aadmi zindaa hai ,hakeekat main to kab kaa mar chukaa hai . ehsaas kisi kaa bhi kar lo yahi to sifat hai ,fitrat hai insaani . veerubhai
17 टिप्पणियां:
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
खुदा ने दिल रक्त संवहन के लिए दिया था कि शुद्ध रक्त और अशुद्ध रक्त का यही एक मार्ग होगा लेकिन हमने उसे भावनाओं से जोड़ लिया। अब बेचारा खुदा शरीर का ध्यान रखे या मन का? हा हा हा हा। आदमी ने तो भारी घालमेल कर दी है। मजाक कर रही हूँ, अच्छी अभिव्यक्ति है, बधाई।
khuda khud roya hai ishq me padke to hamen bhi ye khel dikhata hai, ishq jagata hai
".........क्यूँ है?"
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ताकि दिल, इश्क और प्रेम के विभिन्न रूपों के दिग्दर्शन हो सकें!
yeh jeewan hai, is jeewan ka yahi hai, yahi hai, yahi hai rang roop....
इश्क कराया तोइश्क को रुसवा
कराता क्यूँ है एक अहम् सवाल खूबसूरत रचना पसंद आई शुर्किया
ehsaas se hi, ehsas me hi, aadmi zindaa hai ,hakeekat main to kab kaa mar chukaa hai .
ehsaas kisi kaa bhi kar lo yahi to sifat hai ,fitrat hai insaani .
veerubhai
bahot hi achchha likha hai apne......thanx
क्या भाव हैं।
बहुत सुंदर भाव ,दिल से दिल तक ।
Shayad ye Bhagwaan ka tareeka hai khud ko entertain karne ka...
"जब मिलाना ही ना था
तो अहसास
जगाता क्यूँ है"....अच्छी अभिव्यक्ति !
वाह वाह ...बहुत खूब ....लाज़वाब !!
दिल छूने वाली कविता
मुझे भी अक्सर यही लगता है की आखिर ऐसा क्यों होता है
बिलकुल जायज़ शिकयत है यह ।
sahi kaha ji
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