कौन कमबख्त बडा होना चाहता है
हर दिल मे यहाँ मासूम बच्चा पलता है
इज़हार कब शब्दो का मोहताज़ हुआ है
ये जज़्बा तो नज़रों से बयाँ हुआ है
अब और कुछ कहने की जुबाँ ने इजाज़त नही दी
कुछ लफ़्ज़ पढे, लगा तुम्हें पढा और खामोश हो गयी
अदृश्य रेखाएं
कब दृश्य होती हैं
ये तो सिर्फ
चिंतन में रूप
संजोती हैं
अलविदा कह कर
चला गया कोई
और विदा भी ना
किया जनाजे को
आखिरी बार कब्र तक!
ये कैसी सज़ा दे गया कोई
यूँ दर्द को शब्दों में पिरो दिया
मगर मोहब्बत को ना रुसवा किया
ये कौन सा तूने मोहब्बत का घूँट पिया
जहाँ फरिश्तों ने भी तेरे सदके में सजदा किया
27 टिप्पणियां:
एक ही रचना में काफी अलग अलग भाव मिले....सच में ये बिखरे टुकड़ों की तरह ही है....
मेरा बचपन ..
"..हर दिल में एक मासूम बच्चा होता है.....''
कितनी सही बात कही आपने.
सादर
yea, There are some things which are not to be expressed but felt. NIcely done
yea, There are some things which are not to be expressed but felt. NIcely done
सुन्दर रचना है।
bhut hi sundar hai ye vandana ji....laazwab
अच्छी सुंदर रचना
बिखरे टुकड़े अच्छे से संजोये हैं ...अच्छी प्रस्तुति
खुब...दर्द है..
कौन कमबख्त बडा होना चाहता है
हर दिल मे यहाँ मासूम बच्चा पलता है
main to bilkul nahi...
अदृश्य रेखाएं
कब दृश्य होती हैं
ये तो सिर्फ
चिंतन में रूप
संजोती हैं
aur pannon per utarti hain
कुछ लफ्ज़ पढ़े, लगा तुम्हे पढ़ा और खामोश हो गई !
वंदना जी,
आप की कविता में निश्छल प्रेम और समर्पण की अनुगूँज साफ़ सुनाई देती है!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
अब और कुछ कहने की जुबाँ ने इजाज़त नही दी
कुछ लफ़्ज़ पढे, लगा तुम्हें पढा और खामोश हो गयी
बहुत सुन्दर...
कुछ लफ़्ज़ पढे,
लगा तुम्हें पढा और खामोश हो गयी
ये शब्दों के यदि बिखरे टुकड़े हैं, तो सम्भाल कर रखने लायक़ हैं, जैसे ...
चिंतन में रूप
संजोती हैं
इतना दर्द कहाँ से लाती है आप
ये टुकड़े नहीं है,
शब्दों के मोती हैं,
जिन्हें आपने सूत्र में पिरोकर सुन्दर माला बना दी है!
बिखरे टुकड़े सहेजे हुए सुन्दर अभिव्यक्ति!
अलविदा कह कर
चला गया कोई
और विदा भी ना
किया जनाजे को
आखिरी बार कब्र तक!
ये कैसी सज़ा दे गया कोई
....बहुत बढ़िया
हमारे मन का बच्चा हमें जिलाता रहता है।
वाह वाह क्या बात हे जी, बहुत ही सुंदर कविता धन्यवाद
अब और कुछ कहने की जुबाँ ने इजाज़त नही दी
कुछ लफ़्ज़ पढे, लगा तुम्हें पढा और खामोश हो गयी
बड़ी ख़ूबसूरत पंक्तियाँ हैं....ख़ूबसूरत भी और गहरी भी
gahri anubhooti aur vihval bhavon ki rachna...
bahut kuchh avyakt hote bhi anubhoot ho raha hai.
अदृश्य रेखाएं
कब दृश्य होती हैं
ये तो सिर्फ
चिंतन में रूप
संजोती हैं
अनछुए भावों को सलीके के साथ शब्दों में सहेजती हुई सुंदर रचनाएं...शुभकामनाएं।
जहां फ़रिश्तों ने भी तेरे सदके में सजदे किये।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
सच है वंदना जी ... शब्दों से ज्यादा तो आंखे बयां कर देती हैं दिल का हाल ... लाजवाब लिखा है ....
bahut hi badiya ..
mere blog par bhi kabhi aaiye
Lyrics Mantra
अच्छी सुंदर रचना
आलविदा कह के चला गया कोई , और विदा भी ना किया जनाज़े को।
ख़ूबसूरत पंक्ति, मुबारक।
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