पता नहीं क्यों
बसते हो तुम मुझमे
कितनी बार चाहा
तोड़ दूँ चाहत का भरम
हर बार तुम्हारी चाहत
मुझे कमजोर कर गयी
पता नहीं क्यों
इतना चाहते हो मुझे
कितनी बार चाहा
भूल जाओ तुम मुझे
हर बार तुम्हारा प्यार
मंजिल से मिला गया
पता नहीं क्यों
याद करते हो मुझे
कितनी बार चाहा
लगा दूँ ताला
दिल के दरवाज़े पर
हर बार तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी
बसते हो तुम मुझमे
कितनी बार चाहा
तोड़ दूँ चाहत का भरम
हर बार तुम्हारी चाहत
मुझे कमजोर कर गयी
पता नहीं क्यों
इतना चाहते हो मुझे
कितनी बार चाहा
भूल जाओ तुम मुझे
हर बार तुम्हारा प्यार
मंजिल से मिला गया
पता नहीं क्यों
याद करते हो मुझे
कितनी बार चाहा
लगा दूँ ताला
दिल के दरवाज़े पर
हर बार तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी
45 टिप्पणियां:
बहुत ही प्यारी कविता.
सादर
प्यार में समर्पण को दर्शाती अच्छी कृति..
बधाइयाँ..
दिल के दरवाजे पर ताले कहाँ लगते हैं ...जिसको भुलाने में इतनी मशक्कतें हैं ,भुलाये ही क्यों !
सुन्दर !
एकदम प्यार में डूबी रचना है यह तो....ख़ूबसूरत :)
बेहद सुन्दर कविता.. प्रेम में खुद से हारना प्रेम को पाना है..
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द इस रचना के ...बधाई ।
hriday ko touch kar gayi ye rachnaa !
खुद से हार कर ही दूसरो से जीतते है
आभार
'हर बार तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी '
ह्रदय की कोमल भावनावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
वाह...
प्रेम से परिपूर्ण, प्रेम की भावनाओं से प्रेरित रचना...
कितनी बार चाहा
लगा दूँ ताला
दिल के दरवाज़े पर.
खुबसूरत अहसास को खुबसूरत अल्फ़ाज देना तारीफ़ के क़ाबिल है |शुभकामनायें ...
पता नहीं क्यों ....।
प्रेम की शक्ति यही है संभवतः।
"उधो ! मन नाही दस बीस ,एक हुतो सो गयो
श्याम संग .." दिल के दरवाजे पे ताला कैसे लग पायेगा ,जब ताले की कुंजी ही उसके पास है.कितना सुखद हारना है आपका .
भक्ति और भावों की सुंदर अभिव्यक्ति .
सुन्दर समर्पित भाव...
सुन्दर
क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश
प्रेम का ये परिभाषा अच्छी है, गहरी अनुभूतियो से उपजे बात के लिए बधाई, आशा है और गहरी कविताये लिखेगी आप
वंदना जी,
एक बार फिर आपकी खूबसूरत प्रस्तुति!
आंसुओं में बहुत ताकत है .....
बहुत सुंदर रचना धन्यवाद
bahut hi sunder prempurn kavita
badhai
''किसी को दिल न देने की कसम हर बार खाई है,
मगर मजबूर है, हमसे यही हर बार होता है।''
प्यार की बेहतरीन रचना।
बधाई हो आपको।
bilkul sach....
पता नहीं क्यों
याद करते हो मुझे
कितनी बार चाहा
लगा दूँ ताला
दिल के दरवाज़े पर
हर बार तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी
--
सुन्दर रचना!
विशेषज्ञों द्वारा इसी को तो प्यार का नाम दिया गया है!
पता नहीं क्यों
याद करते हो मुझे
कितनी बार चाहा
लगा दूँ ताला
दिल के दरवाज़े पर
हर बार तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी...mann kee is sthiti ko bahut pyaare shabd diye hain
हर बार तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी '
प्यार में डूबी, बहुत ही प्यारी कविता.
yes dear...prem ke aage khud se haarna hi padta hai....
bohot sundar kavita, bheegi si :)
वंदना जी,
प्रेम में ऐसी ही शक्ति होती है.....उसका बंधन बड़ा प्रगाड़ होता है.....तोड़ने से भी नहीं टूटता|
सच ..पता नहीं क्यों होता है ऐसा :):)
बहुत कोमल भावों को समेटे अच्छी रचना
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (05.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
bahut mast likha h.
'kitni baar chaha................' bala para kuchh jyada hi pasand aaya.
समर्पण के भावों की बेहतेरीन अभिव्यक्ति ......
बहुत खूब !
यही तो प्यार है। सुन्दर कविता।
तुम्हारी
भीगी नज़रें
भिगो गयीं मुझे
और मैं
तेरे प्रेम के आगे
खुद से हार गयी...
बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
पता नहीं क्यों...एक अतिविशाल शब्द, अतिव्यापक कथ्य और उसपर आपकी कविता के भाव, दिल के कोमल घावों को शालीनता से उकेर दे रहे हैं।
बहुत सुन्दर.....एक-एक शब्द भावपूर्ण
कविता की तारीफ जितनी की जाए कम है.
प्यार सी प्यारी रचना.
जारी रहें.
-
व्यस्त हूँ इन दिनों
प्रेम में सम्पूर्ण समर्पण को रेखांकित करती बहुत ही सुन्दर रचना..
प्रेम की शक्ति को दर्शाती हुई बहुत सुंदर अभिव्यक्ति -
बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
‘भीगी पलकें‘ ईश्वर का उपहार है।
बहुत प्यारी कविता।
करना था इंकार, मगर इकरार तुम्हीं से कर बैठे... ना ना करते ...!बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर रचना के लिए बधाई !
प्रेम में हारना जीतना होता है ... गहरे एहसास समेत कर लिखी रचना ...
प्रेममयी आपकी कविता बहुत सुन्दर... हर बार आपकी भीगी पलकों .... बहुत सुंदर
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