आज की ताज़ा खबर
आज की ताज़ा खबर
ब्लॉगजगत का भाई
यानि "अन्नाभाई किड्नैप्ड"
उर्फ़ अपना "मुन्नाभाई"
आज की ताज़ा खबर
ब्लॉग ब्लॉग पर शोर था
अन्नाभई का जोर था
ब्लोगरमीट कराता था
पुरस्कार दिलवाता था
अपनी पुस्तकें छपवाता था
नाम खूब कमाता था
बेनामियों से देखा न गया
अन्नाभई किडनैप हो गया
जब से ऐलान करवाया था
नयी किताब छपवायेंगे
कवी कवयित्रियों को
पहचान दिलवाएंगे
ब्लोगवुड को चढ़ा बुखार था
मुफ्त का चन्दन
कौन न घिसना चाहता था
हर कोई अपना भाग्य
आजमाना चाहता था
मगर न जाने कैसे
दुश्मनों को खबर
लग गयी थी
अन्नाभाई की किस्मत
पलट गयी थी
उनके हत्थे चढ़ गया था
बेनामियों मे फ़ंस गया था
वकील , पत्रकारों और ब्लोगरों
का लगा जमावड़ा था
अननाभई के नाम का
हर कोई गा रहा गुणगान था
आनन् फानन कमेटी बिठाई गई
अन्नाभई की सीट
किसे दिलवाई जाये
तय करना जरूरी था
ब्लॉगजगत के हित के लिए
एक ब्लोगनेता का होना
भी जरूरी था
आखिर जिसकी टांग खिंची जा सके
वक्त पर मुर्गा बनाया जा सके
इस आचार संहिता के लिए
एक बकरा तो बलि चढ़ना था
अजय झा का नाम भी मशहूर था
अन्नाभई की सीट का
ये भी प्रबल दावेदार था
राजीव तनेजा भी व्यंगकार है
अन्नाभाई का साझीदार है
चलो सीट इसे दिलवाते हैं
सूली पर इसे ही चढाते हैं
जैसे ही घोषणापत्र प्रस्तुत हुआ
अन्नाभाई का पुनः आगमन हुआ
और सपना मेरा टूट गया
हाय ! सपना मेरा टूट गया
29 टिप्पणियां:
अन्नाभाई किड्नैप्ड
जानकारी के लिए आभार
बहुत ही सुंदर रचना
.....प्रशंसनीय रचना - बधाई
इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब लिखा है
उफ़ ....सुन्दर सपना टूट गया....
हा हा हा .जानकारी देने का शुक्रिया
बहुत मजेदार.
'हाय ! सपना मेरा टूट गया'
कहकर सब गुड़ गोबर कर दिया वंदनाजी
चलने देती सपने को ऐसे ही क्या जा रहा था.
अन्नाभाई की जगह अन्नाबहन आपको ही चुन
लिया जानेवाला था.
:))))
:)
............
ब्लॉdग समीक्षा की 13वीं कड़ी।
भारत का गौरवशाली अंतरिक्ष कार्यक्रम!
बहुत बढ़िया..
ये अन्ना भाई कौन हैं?
मुफ्त का चन्दन कौन न घिसना चाहता था... hamesha se yahi hota aaya hai
हा हा हा ये तो होना ही था सर्किट के बगैर कैसे वापस मिल गए ...चलिए अच्छा है अब जादू की झप्पी मिलती रहेगी
'हाय ! सपना मेरा टूट गया'
वंदनाजी
चलने देती सपने को ऐसे ही क्या जा रहा था.
अन्नाभाई की जगह अन्नाबहन आपको ही चुन
लिया जानेवाला था.
वंदनाजी ब्लाग जगत की सियासत से आप वाक़िफ़ हो ही गयीं.यहां चलने वाले खेलों पर ध्यान मत दें.
मैंने सोचा था कि आपके ब्लाग पर आवाजाही करने से मेरी तल्ख़ियां शायद कम होंगी. आपकी कविता की कोमलता अक्सर खींच लाती थी.
पर आज किडनेपिंग की ख़बर ने मायुस कर दिया.
ये आपकी प्रकृति नहीं पर कहीं कुछ जला ज़रूर है वो जिस्म हो या दिल इस पर रिसर्च हो सकती है.
इतना ही कहूंगा ...
एक नए रूप में!
बिलकुल अलग अंदाज़ वंदनाजी..... सपना था तो सुंदर .... :))))
सपने भी बड़े भयंकर टाईप के आते हैं .... टूट गया अच्छा हुआ ....अजय झा और राजीव जी बच गए ....सब नहीं झेल सकते ...मजेदार व्यंग
किडनैप हो गये....चलो, क्या किया जा सकता है?
बढ़िया पोस्ट......पर माफ़ कीजिये मैं इनमे से किसी नाम से भी परिचित नहीं हूँ (ब्लॉगजगत में)
अरे वाह क्या बात है? तुम्हारा व्यंग्य भी प्रेम के रंग में रंगा मिल गया. मुझे नहीं पता था की इतना अच्छा व्यंग्य भी दे सकती हो. हरफनमौला इसी को कहालाते हैं. बहुत सुंदर सपना देखा था लेकिन अफसोस टूट गया. चलो फिर दूसरा सजा लो.
धत्त तेरे की...मैं तो पेड़े भी खरीद लाया था इस खुशी में बांटने के लिए और आपकी ये कहानी हकीकत नहीं बल्कि सपना निकली..
hehhehehehe
hahhahahaaa
bahut sahi... bahut khoob...
"mera sundar sapna tooooot gaya..."
:)
अन्ना भाई किडनेप हो गए,
जेलर के जासूसों को पता ही नहीं चला.:)
बढ़िया व्यंग्य किया है कविता के माध्यम से
स्वप्न संसार से वास्तविकता के धरातल तक...
उत्तम यात्रा वृतांत.
व्यंग अच्छा है। बहुत बधाई।
मार्कण्ड दवे।
सपना मेरा टूट गया।
aap to blog peeti hain ...blog khati hain ...sapne me bhi blog ...padh kar aanand aaya ...
Interesting !
व्यंग अच्छा है। बहुत बधाई।
कविता में हास्य के छींटे भी हैं और व्यंग्य की फुहारें भी हैं।
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