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शनिवार, 28 मई 2011

जब से तेरी प्रीत की झांझर डाली है पांव मे

जब से तेरी प्रीत की
झांझर डाली है पांव मे
ठहर गये हैं दिल की
मुंडेर पर ठिठक कर
बता कैसे तेरे सपनों
की ताजपोशी करूँ
कौन सी महावर सजाऊँ
कौन सा अल्पना लगाऊँ
कि चल पडें लोक लाज छोडकर

33 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

kya baat...kya baat...kya baat...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ठहर गये हैं दिल की
मुंडेर पर ठिठक कर

:) अब मुंडेर पर बैठे ही हैं तो दिखाई दे ही जायेंगे न ;):) सुन्दर अभिव्यक्ति

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'प्रीति की झांझर डाली पाँव में '

......................वाह वंदना जी ! गज़ब की पंक्ति ....अब तो कदम बढाते ही प्रीति गाएगी ....प्यार नाचेगा

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

बेनामी ने कहा…

सुभानाल्लाह......वाह.....जब से तेरी प्रीत.......मीरा के भाव दिखे हैं इस पोस्ट में.....शानदार....लाजवाब |

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही प्यारी सी कविता

रश्मि प्रभा... ने कहा…

कौन सी महावर सजाऊँ
कौन सा अल्पना लगाऊँ
कि चल पडें लोक लाज छोडकर
alhad purwaiya si baat

Kunwar Kusumesh ने कहा…

दिल की मुंडेर-वाह वंदना जी वाह,क्या बात है.

Unknown ने कहा…

शब्द कुछ और गढ़ने चाहिए ,
मुंडेर के पास ही नहीं ठिठकना चाहिए,
निकलने दीजिये कोई बात ,
न कहने की कसक निकालनी चाहिए. अच्छे शब्द बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रीति में असीमित ऊर्जा है।

राजेश उत्‍साही ने कहा…

समर्पण का महावर, समर्पण की ही अल्‍पना
जब प्रीत की झांझर हो डाली हो पांव में
कैसे साकार हो सकेगी कोई और कल्‍पना।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर प्रीति की झांझर बजा कर नाचोगी तो शोर हो जायेगा और फिर ..............

राज भाटिय़ा ने कहा…

अति सुन्दर अभिव्यक्ति !! धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
मनोभावों का बहुत बढ़िया चित्रण किया है आपने!

मनोज कुमार ने कहा…

थोड़ा सा कदम बढ़ा कर देखें।

Atul Shrivastava ने कहा…

प्रेम की इंतहा....
बेहतरीन रचना
अच्‍छे शब्‍द संयोजन

वाणी गीत ने कहा…

दिल की मुंडेर पर झांझर की झंकार ...
सुन्दर !

रजनीश तिवारी ने कहा…

अब प्रीत की झांझर है पाँव में, फिर क्या सोचना !
दिल के कोमल भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

प्रीत की झांझर, दिल की मुंडेर...वाह, कितने सुंदर बिम्बों का प्रयाग किया है आपने।
कविता के कथ्य और शिल्प में ताजगी है।
बधाई, वंदना जी।

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति,बहुत सुंदर
बधाई..............

विभूति" ने कहा…

bhut bhut pyar panktiya...

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

प्रीति की झांझर पहनने के बाद भौतिक श्रृंगार बेमानी हो जाते हैं ,फिर भी प्रियतम की अपेक्षा पूर्ण करने के लिए कुछ प्रश्न मन में उभर ही जाते हैं.भाव-प्रवण रचना.

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

ye jhankaar hi to sir se lekar dil aur dimaag tak gunjti hai,
lok laaj duniya kahaan dekhti hai....!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

आपकी रचना पढकर "हीरो" फिल्म का गीत "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं " याद आ गया ... सुन्दर रचना !

ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 ने कहा…

आदरणीया वंदना जी -बहुत ही सुन्दर रचना -छोटी मगर प्रेम रस को छलकाती-मन को सराबोर कर गयी -प्रेमिका का प्रेमी के स्वागत में श्रृंगार -भाव मुंडेर तक -बधाई हो
आशा है आप अपने सुझाव , समर्थन , स्नेह देती रहेंगी
साभार -
शुक्ल भ्रमर ५

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

....
हर पंक्ति दिल तक पहुँचती हुई....
दिल की बात आपने बहुत दिल से लिखी है.......
आपको फौलो कर रही हूँ:)

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

bahut sunder....

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत प्यारी रचना |बधाई |
आशा

Urmi ने कहा…

वाह वंदना जी! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!बधाई!

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

जब से तेरे प्रीत की
झांझर डाली है पाँव में ....
कौन सी महावर लगाऊं,
कौन सा अल्पना लगाऊं .....
प्रेम की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति !

***Punam*** ने कहा…

कोमल एहसास...
जब पाँव में झांझर झनके
तो शोर होना ही है...!
अति सुन्दर...!!

Vijuy Ronjan ने कहा…

Vabdana ji,atyant hi prembhav se oat proat hai yah kavita...Bimbon ka prayog ati uttam.accha laga padha kar.

Anita ने कहा…

कलात्मक प्रेम का स्वाद चखाती छोटी सी कविता !