ये सुबह ठहरती क्यों नही……
कब तक आस के मोती सम्हालूँ
जानते हो ना
तुम्हारी आस ही
ज़िन्दा रखे है
और तुम मेरी ज़िन्दगी की सुबह
जब तुम वापस आओगे
जानते हो ना
उसी दिन सुबह ठहरेगी मेरे आँगन में
कभी ना जाने के लिए ......तुम्हारी तरह
क्या ऐसा होगा ..........
मेरी आस का सूरज उगेगा........
क्या ऐसा होगा
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी
कब तक आस के मोती सम्हालूँ
जानते हो ना
तुम्हारी आस ही
ज़िन्दा रखे है
और तुम मेरी ज़िन्दगी की सुबह
जब तुम वापस आओगे
जानते हो ना
उसी दिन सुबह ठहरेगी मेरे आँगन में
कभी ना जाने के लिए ......तुम्हारी तरह
क्या ऐसा होगा ..........
मेरी आस का सूरज उगेगा........
और आसमां धरती पर उतरेगा
बताओ ना ...........क्या ऐसा होगा
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी
39 टिप्पणियां:
सुंदर कल्पना।
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विलुप्त हो जाएगा इंसान?
ब्लॉग-मैन हैं पाबला जी...
क्या ऐसा होगा
जब दिन में कुमुदनी खिलेगी
नए प्रतीकों से सजी, कोमल भावनाओं को व्यक्त करती सुंदर कविता।
मेरी आस का सूरज उगेगा........
और आसमां धरती पर उतरेगा बताओ ना ...........
क्या ऐसा होगा
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी bahut sunder bhav liye sunder rachanaa.badhaai sweekaren.
असंभव को संभव बनाने कि चाह ...सुन्दर बिम्ब से सजी कोमल सी रचना
बहुत सुन्दर रचना!
आशा और विश्वास की दहलीज पर बहुत कुछ लिख दिया है आपने।
कुमुदिनी दिन में नहीं रात में जरूर खिलेगी!
वो सुबह कभी तो आएगी ... बहुत खूबसूरत एहसास ...
जरुर खिलेगी ||
बेहद उत्कृष्ट रचना है यह.
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
आस के मोती...आस का सूरज... मन के अलग अलग भावों की अभिव्यक्ति प्रभावित करती है..
hoga... zarur hoga
ummeed pe duniya kaayam hai.
....Bahut hi sundar rachna ..komal bhav liye hue.
bahut sundar bhav .....adheerta ko shabdon ka chola pahna diya hai aapne .aabhar
आशाएं जीवन में रंग भरती है, बहु आयामी जीवन को नयी रफ़्तार देती है, सकारात्मक उर्जा का संसार उजाले की कामना करता है और उजाला दूर नहीं होता , सुबह ठहरेगी जरूर . बेहद भावभीनी कविता बधाई
आशाएं जीवन में रंग भरती है, बहु आयामी जीवन को नयी रफ़्तार देती है, सकारात्मक उर्जा का संसार उजाले की कामना करता है और उजाला दूर नहीं होता , सुबह ठहरेगी जरूर . बेहद भावभीनी कविता बधाई
जरुर जी...बहुत बेहतर रचना...
khoobsurat kavita... sajeev kalpna... naye vimb...
क्या ऐसा होगा जब कुमुदनी दिन में खिलेगी।
बेहतरीन।
क्या येसा होगा ?..हाँ येसा हि होगा जरूर खिलेगी! ..वंदना जी..सुन्दर रचना ....
आस है, विश्वास है।
वो सुबह कभी तो आएगी...
bhut hi sunder prastuti....
inshaa allah aapki aas zrur or jldi puri hogi bhtrin andaz me prstuti bdhai ho ..akhtr khan akela kota rajsthan
क्या ऐसा होगा
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी
Why not, sure and certain.
बहुत अच्छी कविता है
विश्वास पर दुनिया टिकी है...
आशा रखें ... ! शुभकामनायें आपको !
क्या ऐसा होगा
जब दिन में कुमुदनी खिलेगी
बेहतरीन प्रस्तुति ।
बढ़िया पोस्ट|
कोमल अहसासों की बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..आभार
लंबे समय के बाद तारीफ के साथ...बाअदब नमस्कार
ग़म की अँधेरी रात में...दिल को न बेकरार कर...सुबह जरूर आएगी, सुबह का इंतज़ार कर....
बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
इंतजार का फल मीठा होता है।
अनुपम अभिव्यक्ति..
मेरी आस का सूरज उगेगा........
और आसमां धरती पर उतरेगा बताओ ना ...........
क्या ऐसा होगा
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी....
dil me utarti panktiyan....
bahut sundar bhav......dhanywad
avinash001.blogspot.com
Bahut hi bhawpoorn prashtuti di hai vandna ji...!
badhai swikare..!
यदि दृढ़ विश्वास हो तो कुमुदिनी दिन में खिल सकती है। असम्भव सम्भव में बदल सकत है।
क्या ऐसा होगा
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी
पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं।
यहाँ हर बात हो सकती अग़र तद्बीर की जाए,
वगरना बस फ़क़त तक्दीर पर रोना ही होता है।
चाहत सच्ची है तो 'ऐसा भी होगा'
जब कुमुदिनी दिन में खिलेगी
जाग्रत में नहीं तो स्वप्न में अवश्य.
मेरी आस का सूरज उगेगा......??
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