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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

दो टुकड़े गुलाब दिवस पर






सुना है आज गुलाब दिवस है
क्या गुलाब दिवस होने से
सब गुलाबी हो जाता है
क्या सच मे मोहब्बत के रंग पर
फिर सुरूर चढने लगता है
किसी को गुलाब कहना बेहद आसान है
मगर गुलाब बनना बहुत मुश्किल
रात पर कांटों पर सोता है
तब सुबह जाकर खिलता है
यूँ ही नही गुलाब बना जाता
यूँ ही नही गुलाबी रंग
ज़िन्दगी मे उतरता
यूँ ही नही मोहब्बत सुर्ख होती
तपस्या करनी पडती है
कांटों के बिस्तर पर सोना पडता है
तब जाकर मोहब्बत का गुलाब खिलता है
सिर्फ़ एक दिन की हसरत , सिर्फ़ एक दिन की चाहत , सिर्फ़ एक दिन की ज़िन्दगी के लिये
कहीं देखे हैं ऐसे मोहब्बत के सुलगते गुलाब...........




देखो -  देखो 
गुलाब दिवस आया है
बस एक दिन के लिए ही
गुलाबों का मौसम आया है

सारे प्रेमियों के मन में 
गुलाबी सुरूर छाया है
आज गुलाब जरूर देंगे
मोहब्बत का इजहार हम कर देंगे
बस यही कसम खाया है
देखो - देखो गुलाब दिवस आया है

क्या हुआ जो कल 
वो भूल जाएगी
किसी और से 
वैलेन्टाइन  पर 
गुलाब पाएगी
मगर आज तो 
मैंने पहल की है
गुलाब देकर अपना
जादू चलाया है
अपनी किस्मत को 
आजमाया है
देखो- देखो गुलाब दिवस आया है


गर जादू चल गया
तो गुलाब की कली मेरी होगी
और न भी चले मगर 
आज तो वो मेरी ही होगी
बस इतनी सोच ये रखते हैं
आज एक तो कल
दूसरी बाला पकड़ते हैं
वैलेन्टाइन डे आते आते तो 
इनके सात रंग झलकते हैं
दोस्तों पर रुआब डालते हैं
अपनी अकड़ दिखाते हैं
सबकी नज़र में 
एक दिन के रोमियो बन जाते हैं 
हर नयी लड़की को 
अपनी जूलियट बताते हैं
और बेचारे गुलाब दिवस की
ऐसी तैसी बजाते हैं
मगर गुलाब दिवस की 
अहमियत न जान पाते हैं
बस भीड़ का हिस्सा बन 
गुलाबों से खिलवाड़ करते हैं 
आज की पीढ़ी के 
ये नए रंग झलकते हैं 

गुलाब का ये हाल देख
बस यही मूंह से निकलता है 
देखो - देखो 
गुलाब दिवस आया है
बस एक दिन के लिए ही
गुलाबों का मौसम आया है




24 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... गुलाब की व्यथा को गुलाब दिवस पर बयान किया है आपने ... लाजवाब ..

आशा बिष्ट ने कहा…

achchhi prastuti...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यूँ तो गुलाब हर हाल में श्रेष्ठ है , पर हाथों हाथ होता है एक नाम पर - जहेनसीब !

Unknown ने कहा…

गुलाब दिवस पर बहुत सुन्दर और गुलाबी रचना। बहुत खुब विश्लेषण किया आपने ।
मेरी नई रचना में पधारें-
"मेरी कविता:आस"

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

gulaabi rachnaa!

आशा बिष्ट ने कहा…

khubsurat andaj kahne kaa....

Anita ने कहा…

गुलाब दिवस पर आपकी गुलाबी कविता पढ़कर आनंद आ गया...वाकई आजकल ऐसा ही होता है....

बेनामी ने कहा…

दोनों ही बहुत उम्दा हैं |

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बसन्त, गुलाब, बलिटाहन गजब संयोग..

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

waah.....

आनंद ने कहा…

हाँ वंदना जी रात काँटों पर सोना पड़ता है...अस्तित्व दांव पर लगा कर ही कोई गुलाब होता है !
गुलाब कि दोनों पंखुडिया अद्वितीय है !

सदा ने कहा…

बस एक दिन के लिए ही ...बहुत खूब कहा है आपने ।

shikha varshney ने कहा…

बहुत खूब ..

Maheshwari kaneri ने कहा…

गुलाब दिवस पर आप को गुलाब ही गुलाब...

विभूति" ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

अशोक सलूजा ने कहा…

महोब्बत का प्रतीक है गुलाब ....महोब्बत क़ुरबानी मांगती है ...
हर महोब्बत पे कुर्बान होता है गुलाब ....???

Atul Shrivastava ने कहा…

पढकर मन गुलाब गुलाब हो गया।
सुंदर रचना।

Anupama Tripathi ने कहा…

गुलाब की व्यथा बताती . ...सुंदर रचना .....!!

virendra sharma ने कहा…

गुलाब का मर्म आपने समझाया है .

***Punam*** ने कहा…

दोनों ही अभिव्यक्ति सुन्दर सी...

Kailash Sharma ने कहा…

सच में गुलाब बनना आसान नहीं है..दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर...

कुमार राधारमण ने कहा…

कांटे भी हैं और गुलाब भी। फिर टेंशन क्या है?

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज कल हर चीज़ पर बाजारवाद का असर है .. और बेचारे गुलाब पर तो जैसे बरसा कहर है ..
दोनों रचनाएँ बढ़िया लगीं

vidya ने कहा…

सुन्दर कथा और उसमे छिपी व्यथा...
बहुत खूब..
सस्नेह.