अहसासो ख्यालो की एक अनूठी दुनिया की
सैर पर निकला हो कोई
और जैसे पांव किसी सुलगते दिल को छू गया हो …………
आह ! ऐसे ही नही निकला करती।
सजदे में सिर झुका कर
कर रहा हो कोई इबादत
और जैसे मुस्कान कोई रूह को छूकर निकल गयी हो ...........
यूँ ही नहीं मिला करता मौला किसी फकीर को
रेशम के तारों से काढ रहा हो
कोई अपने सपनो का ताजमहल
और जैसे मुमताज के जिस्म में हरारत हो गयी हो
यूँ ही नहीं शहंशाह बना करते है .........
तबियत से लिख रहा हो रात की स्याही से
कोई फ़साना खुदाई नूर का
और जैसे खुदा ने हर लफ्ज़ पढ़ लिया हो
यूँ ही नहीं कुर्बान होती मोहब्बत वक्त के गलियारों में ...........
15 टिप्पणियां:
और जैसे खुदा ने हर लफ्ज पढ़ लिया हो ...
वाह बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार
वाह!
कुँवर जी,
यूँ हीं भला कहाँ होता है कुछ .... कुछ होने के पीछे पर गौर करो ... मुहब्बत की ज़मीं तो देखो
रेशम के तारों से काढ रहा हो कोई अपने सपनो का ताजमहल'
बहुत खूब क्या बिम्ब दिया है
बहुत ही खुबसूरत भाव !
वाह: बहुत खुबसूरत अंगाज से लिखा है ..बहुत सुन्दर वंदना जी..आभार
सजदे में सिर झुका कर कर रहा हो कोई इबादत और जैसे मुस्कान कोई रूह को छूकर निकल गयी हो ........... यूँ ही नहीं मिला करता मौला किसी फकीर को
बहुत खूब....सुन्दर प्रस्तुति
रेशम के तारों से काढ रहा हो कोई अपने सपनो का ताजमहल'
Waah...Bahut Sunder
बहुत खूब ...
रेशम के तारों से
काढ रहा हो कोई अपने सपनो का ताजमहल
और जैसे मुमताज के जिस्म में हरारत हो गयी हो ..
प्रेम में इतनी ताकत होती है की मुर्दे में जान फूंक दे ... लाजवाब रचना है ...
hararat to tabhi hogi jab pyaar me aisee taaseer hogi..bahut hee shandaar rachna..sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
कोई तो रचता है कहानी हम सबकी..
बहुत सुंदर ....
तबियत से लिख रहा हो रात की स्याही से
कोई फ़साना खुदाई नूर का
और जैसे खुदा ने हर लफ्ज़ पढ़ लिया हो
यूँ ही नहीं कुर्बान होती मोहब्बत वक्त के गलियारों में ...
बहुत पसंद आयीं यह पंक्तियाँ
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति...
क्या बात है.
इतने सुन्दर उर्दू के अल्फाज.
दिल को छूते हुए.
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