क्या अच्छा क्या बुरा
सबका अपना दृष्टिकोण
किसी के लिए जो अच्छा
वो दूजे के लिए बुरा
फिर कैसे अच्छे बुरे की
परिभाषा बांचे हम
शायद होता तो सब
अच्छा ही है दुनिया में
सिर्फ दृष्टिकोण के फर्क से
इन्सान ही बुराई ढूँढ लेता है
और अपने मन मुताबिक
अपने पैमाने बना लेता है
और नयी परिभाषा गढ़ लेता है
फिर कैसे अच्छे बुरे को बांचे हम
कैसे किसी को कम आंके हम
क्यों न अपनी सोच बदलें हम
हर बात मे अच्छा देखें हम
नज़र बदलते ही नज़ारा बदल जायेगा
जो बुरा नज़र आता था अच्छा नज़र आयेगा
फिर जीवन सबका संवर जायेगा
एक स्वर्ग धरती पर भी उतर आयेगा
सबका अपना दृष्टिकोण
किसी के लिए जो अच्छा
वो दूजे के लिए बुरा
फिर कैसे अच्छे बुरे की
परिभाषा बांचे हम
शायद होता तो सब
अच्छा ही है दुनिया में
सिर्फ दृष्टिकोण के फर्क से
इन्सान ही बुराई ढूँढ लेता है
और अपने मन मुताबिक
अपने पैमाने बना लेता है
और नयी परिभाषा गढ़ लेता है
फिर कैसे अच्छे बुरे को बांचे हम
कैसे किसी को कम आंके हम
क्यों न अपनी सोच बदलें हम
हर बात मे अच्छा देखें हम
नज़र बदलते ही नज़ारा बदल जायेगा
जो बुरा नज़र आता था अच्छा नज़र आयेगा
फिर जीवन सबका संवर जायेगा
एक स्वर्ग धरती पर भी उतर आयेगा
37 टिप्पणियां:
हर बात मे अच्छा देखें हम
नज़र बदलते ही नज़ारा बदल जायेगा
जो बुरा नज़र आता था अच्छा नज़र आयेगा
फिर जीवन सबका संवर जायेगा
एक स्वर्ग धरती पर भी उतर आयेगा
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बहुत ही बढ़िया सन्देश दिया है आपने आज की रचना में।
काश् यह सम्भव हो!
मगर प्रयास तो करते ही रहना चाहिए!
सही लिखा है आपने। दुनिया में कोई भी बुरा नहीं। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। कहा भी गया है, जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा। यह भी कहा गया है, मन का हो तो अच्छा, मन का न हो तो और भी अच्छा।
शायद होता तो सब
अच्छा ही है दुनिया में
सिर्फ दिृष्टिकोण के फर्क से
इन्सान ही बुराई ढूॅढ लेता है
और अपने मन मुताबिक
अपने पैमाने बना लेता है
और नयी परिभाषा गढ़ लेता है।
बिल्कुल सही कह रही है आप। इंसान की सोच ही अच्छी और बुरी होती है।
बिलकुल सही कहा।
मुझे तो लगता अच्छा और बुरा कुछ भी नहीं होता, सिर्फ उसे देखने का नजरिया होता है।
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ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
दृष्टिकोण पर आपका नजरिया अच्छा लगा... सही और गलत के पहचान के प्रति सापेक्ष और निरपेक्ष भाव को प्रकट करती कविता बढ़िया है.
apna drishtikon aur apni muhar
सभी के अपने दृष्टिकोण हैं।
drastikon se hi insan
sahi or galat ka pata lagata hai
bahut sahi
...
ये तो है हमें हर चीज उसी रूप में दिखती है जैसे हम देखते हैं - 'जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी' सकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच इसी के लिए बनी हुई है. दुनियाँ में संघर्ष का कारण यही है. हम अपनी सोच बदल लें तो ये दुनियाँ में सिर्फ प्रेम और सद्भाव ही नजर आएगा.
'नज़र बदलते ही नज़ारा बदल जायेगा
जो बुरा नज़र आता था अच्छा नज़र आयेगा '
बिलकुल सच कहा वंदना जी ! बस अपनी निगाह का चश्मा उतारने की जरूरत है |
khoobsurat rachna....
baanche ka kya matlab hota hai?
क्यों न अपनी सोच बदलें हम
हर बात मे अच्छा देखें हम
नज़र बदलते ही नज़ारा बदल जायेगा
जो बुरा नज़र आता था अच्छा नज़र आयेगा
पते की बात कही है....सुन्दर अभिव्यक्ति
वंदना जी,
इस पोस्ट के लिए आपको मेरा सलाम......बहुत ही सुन्दरता से आपने इतने सरल शब्दों में इतनी बढ़िया बाते बतायीं......बहुत सुन्दर|
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
'Harbaat me achcha dekhen hum,Najar
badalte hi najara badal jayega'
Ab najar badalene ke liye to man ki gharahi me utarana hi padega.
Achcha to har man me hai,bus khoj karni padegi.Kaha bhi gaya hai:-
"jin khoja tin paaia,ghere pani paith"
Vandanaji aap badhai ki patra hai,jo man ki gharaion me utar kar
moti chun chun la rahi hai.Kaas!
hum sub bhi utar paye man ki gahraio me achcha dundhne ke liye.
सही बात है.. सब नज़र-नज़र का खेल है..
शायद होता तो सब
अच्छा ही है दुनिया में
सिर्फ दृष्टिकोण के फर्क से
इन्सान ही बुराई ढूँढ लेता है
बिलकुल सच कहा है आपने सिर्फ इंसान के नजरिये की बात होती है ! बहुत ही अच्छा सन्देश दिया है इस कविता के माध्यम से !
बहुत आभार !!
सही कहा आपने जो किसी की नज़र में कोई अच्छी बात किसी के लिए बुरी भी हो सकती है और किसी की बुरी बात किसी को अच्छी भी लग सकती है.
सब अपना अपना सोचने का तरीका है/दृष्टिकोण है.
सादर
बढ़िया सन्देश दिया है आपने ,काश ऐसा हो पाता !
आपका नजरिया अच्छा लगा...वंदना जी
बहुत ही सार्थक सन्देश देती , एक बेहतरीन रचना ।
सही सोच है.
नज़र नज़र का फेर है।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई।
जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोई॥
बहुत सुंदर संदेश दिया आप ने इस रचना के माध्यम से, लेकिन ऎसा होता नही, धन्यवाद
सच में वंदना जी नज़रिया बहुत मायने रखता है..... बहुत सहजता से गूढ़ बात कही आपने.....
Sundar Ati sundar
काश कि हम अपनी सोच बदल पाते, मेरा तो मानना है कि सब कुछ सोच पर ही निर्भर करता है ।
Bahut badhiya
सही सन्देश देती हुई रचना -
बहुत अच्छी लगी
सुन्दर और भावपूर्ण कविता । बधाई।
नज़र बदलते ही नज़ारा बदल जायेगा
जो बुरा नज़र आता था अच्छा नज़र आयेगा
फिर जीवन सबका संवर जायेगा
एक स्वर्ग धरती पर भी उतर आयेगा.....
एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
सही है की सबके अपने अपने दृष्टिकोण हैं ...किसी के लिए कोई अच्छा तो दूसरे के लिए बुरा हो सकता है ..सटीक भावाभिव्यक्ति
बहुत ही बढ़िया ..........
बिलकुल सही कहा।
हमारे अपने नजरिये पर बहुत ही सार्थक और अच्छी टिप्पणी है आपकी रचना । वैसे मुझे लगता है जैसे कुछ बुरा नहीं वैसे ही कुछ अच्छा भी नहीं । पर आपने सच ही कहा है , समझना ही है तो हम अच्छा समझें । इससे ज़िंदगी आसान होगी । बहुत अच्छी रचना । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।
सबका अपना नजरिया है ...एक का सच दूसरे के लिए झूठ हो सकता है ...इसलिए दूसरे के नजरिये को जानने की कोशिश भी की जानी चाहिए ...
सार्थक संदेशपरक रचना !
sahi kaha.....drishtikon hi hai jo difference create karta hai aur alag pahchan dilata hai.........
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