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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

उफ़ ! कब और कैसे

उसने नज़रों से छुआ
तो भी सिहर गयी
उफ़ ! कब और कैसे
दिल की ये हालत हो गयी


वो बेसाख्ता हँस पड़ा
और मैं खुद में सिमट गयी
उफ़ ! कब और कैसे
नज़र ये चार हो गयी


उसकी सांसो को छूकर
पुरवा जो उतरी मुझमे
उफ़ ! कब और कैसे
खुद से मै बेगानी हो गयी

26 टिप्‍पणियां:

वाणी गीत ने कहा…

उफ़!कब और कैसे हुआ ये ...
सुन्दर !

अजय कुमार ने कहा…

प्यार की सुंदर अनुभूति

Satish Saxena ने कहा…

शुभकामनायें आपको :-)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वो बेसाख्ता हँस पड़ा
और मैं खुद में सिमट गयी
उफ़ ! कब और कैसे
नज़र ये चार हो गयी
--
भाव प्रधान और सुन्दर अभिव्यक्ति!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

अभी अभी आप विवाह की वर्षगांठ का उत्सव मनाई हैं.. उसी में हुई होगी ये हालत.. रोमांटिक कविता...

संजय भास्‍कर ने कहा…

... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

अजय कुमार झा ने कहा…

उफ़्फ़ ! कब और कैसे ?


आपने पूरी कविता पढवा दी , उत्तर फ़िर भी न दिया ...। सुंदर सरल भावाभिव्यक्ति

Rakesh Kumar ने कहा…

Vandana ji ye begaanapan hai ya
diwaanapan ? Kudh to begaani ho gayi ho,per sabhi ko diwana banaaye ja rahi ho.Kab aur kaise
diwanagi aapki bhavpoorn rachanaon
ko padhane me aane lagi,pata hi nahi chalaa.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

pyaar ke anokhe ehsaas ... bahut badhiyaa

Kunwar Kusumesh ने कहा…

प्रेमपरक भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

सदा ने कहा…

वाह ....बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन !

सादर

Atul Shrivastava ने कहा…

प्रेम की पराकाष्‍ठा। अच्‍छी रचना।

बेनामी ने कहा…

वाह...वाह.....वंदना जी......प्रेम और हया.....चार चाँद लगा दिए हैं जी आपने...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम का क्रियात्मक संवाद।

रूप ने कहा…

उसकी सांसो को छूकर
पुरवा जो उतरी मुझमे
उफ़ ! कब और कैसे
खुद से मै बेगानी हो गयी

अति सुन्दर..... !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

उसकी सांसों को छूकर
पुरवा जो उतरी मुझमें
उफ़ ! कब और कैसे
.............................
मनमोहक रचना ....'उफ़ कब और कैसे' का जवाब नहीं !

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना, धन्यवाद

Unknown ने कहा…

खुबसूरत रचना के लिए बधाई, हृदय को छूते शब्द , अविरल भाषा ,धन्यवाद्

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उफ़ ...कब से ये हाल है ?
खूबसूरत अभिव्यक्ति

अन्तर सोहिल ने कहा…

उफ!
कब!
कैसे!
सच में पता ही नहीं चलता
बेहतरीन अभिव्यक्ति और पंक्तियां

प्रणाम स्वीकार करें

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

छोटी मगर बहुत सुन्दर रचना !

rashmi ravija ने कहा…

सुन्दर भावाभिव्यक्ति

Dr.J.P.Tiwari ने कहा…

यह अनुभूति कब की है? पुरानी है या नई? चाहे जब की ही हो, है पूरी की पूरी की पूरी. प्यार को परिभाषित सा करता हुआ सुखद अनुभूति. लगता है 'मधुमास सचमुच आ गया'.... बहुत ही भावना प्रधान एक अनुभूत यथार्थ जिसे कल्पना कहना कठिन है. भाग्यशाली हैं आप.

बेनामी ने कहा…

kya bat hain shandar

adhbhut


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vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana , one of your best love songs ... too touchy , ise mujhe bhejo , collection ke liye

tahnks