हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
हाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी
कैसे कैसे ख्वाब संजोता है
कभी पद्म श्री तो कभी पद्म विभूषण
की आस लगाता है
पर इक पल चैन ना पाता है
ये ब्लोगिंग की कैसी कहानी
कहीं है झूठ तो कहीं है नादानीहाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी
कैसे कैसे ख्वाब संजोता है
कभी पद्म श्री तो कभी पद्म विभूषण
की आस लगाता है
पर इक पल चैन ना पाता है
ये ब्लोगिंग की कैसी कहानी
कोई खींचता टांग किसी की
तो कोई आसमाँ पर बैठाता है
किसी को धूल चटाता है तो
किसी को तिलक लगाता है
हाय रे ब्लोगिंग ये कैसी कारस्तानी
बड़े बड़ों को तूने याद दिला दी नानी
बेचारा ब्लोगर इसके पंजों में फँस जाता है
अपनों से जुदा हो जाता है
फिर टर्र टर्र टार्राता है
ब्लोगिंग के ही गुण गाता है
शायद कोई मेहरबान हो जाये
और दो चार टिप्पणियों का दान हो जाये
या कोई अवार्ड ही मिल जाये
और किसी अख़बार में उसका नाम भी छप जाए
इसी आस में रोज अपना खून सुखाता है
ब्लोगिंग का कीड़ा रोज उसे काट खाता है
और राम नाम की रटना छोड़
रोज ब्लोगिंग ब्लोगिंग गाता है
नाम के फेर में पड़ कर
की बोर्ड चटकाता है
मगर चैन कहीं ना पाता है
हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
हाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी
43 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया व्यंग्य रचना है यह तो!
मैं तो यह कहता हूँ कि-
हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
गर्दन में दर्द और आँखो मे पानी
नशे की लगी है लत ऐसी
नाहक गँवाता है नेट पर जवानी
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण
अब सबका यही हाल होने वाला है
गर्दन मे सबकी पट्टा डलने वाला है
मान जाओ ओ ज्ञानी ध्यानी
ब्लोगिंग मे मत गंवा जवानी
बहुत बढ़िया :)))))
सादर
हा हा हा हा हा हा बहुत रोचक रचना...हम सब ब्लोगर्स के मन की व्यथा है इसमें....
नीरज
ब्लोगिंग की दुनियाँ का सच खूबसूरत अंदाज़ में पेश करने के लिए साधुवाद !
हा हा हा ..अरे इतना सच सच भी बोलता है क्या कोई :)
बहुत बढ़िया.
@ shikha varshney
अब क्या करूँ झूठ बोलने की आदत नही है।
ब्लॉगिंग की सामुहिक पीड़ा को स्वर दिया!!
क्या खूब रचाना है, सहा भी न जाए और इस रचना के खिलाफ कुछ कहा भी न जाए!!:))
haa bahut badiya
aaj ham sabki hai ye hi kahani
आदरणीय सुश्रीवंदनाजी,
बहुत सटिक व्यंग किया है आपने,
हमारी बधाई स्वीकार करें।
bebaak mast rachna
बहुत सटीक व्यंग..आभार
बहुत बढ़िया वंदनाजी ........ रोचक और सटीक रचना :)
हर ब्लॉगर के मन कि बात बड़ी सच्चाई से कह दी :):) बहुत बढ़िया ..
अच्छा व्यंग्य है| कमोबेश हर ब्लॉगर की यही हालत है|
वह वंदना जी -बहुत बढ़िया लिखा है ...!!
जय हो, सत्य व्यक्त किया।
bahut sahi ...ajakal ki yahi hai ravani ...fir dekh blagar apani kahani ..rochak hai ..vaah
आप ने तो ब्लागरो की दुखती रग पर हाथ रख दिया, बहुत सुंदर धन्यवाद
सत्य वचन। बिल्कुल सही नब्ज पकड़ी है।
मस्त रचना।
---------
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस।
सहृदय और लगनशीन ब्लॉगर प्रकाश मनु।
हम सब ब्लोगर्स के मन की व्यथा है, बहुत बढ़िया.
वाह बहुत खूब !
बहुत बढ़िया व्यंग्य
सादर- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
इसी आस में रोज अपना खून सुखाता है
ब्लोगिंग का कीड़ा रोज उसे काट खाता है
और राम नाम की रटना छोड़
रोज ब्लोगिंग ब्लोगिंग गाता है
हा हा हा... अथ: श्री ब्लोगर कथा...
हाय रे ब्लोगर तेरी यही कहानी
हाथों मे कीबोर्ड और आँखो मे पानी
..badiya blograag... lage rahiye.. kuch n kuch chalte rahna chahiye....
he he he he..........
sach me aisa hi to hai...
hai re blogger teri yahi kahani hai...:D
ab to vandana ko padmshree banta hai:D
sach me aankhon me pani aa gaya vandna G
Acchi Panktiyan hain
सच्ची :)
सही है जी.. सबको यह कीड़ा काटा हुआ है.. पहले पोस्ट करते हैं और फिर टिप्पणी करते हैं इस आस में कि उनके पोस्ट पर भी टिप्पणी हो.. और यह चक्र चलता ही रहता है इस दुनिया मायाजाल की तरह..
:) बहुत बढ़िया
अच्छी रचना । हास्य भी और व्यंग्य भी ।क्या बात है ।
कुछ ब्लागिंग का चढावा इस ब्राम्हण को भी मिल जाए माते...
वंदनाजी बहुत बढ़िया व्यंग्य है....बधाई
sunder vyang
vandna ji khoob kaha sochna padega
rachana
बहुत खूब वंदना जी.
हास्य ,व्यंग्य के साथ ही सच्चाई भी बयां कर दी.
ब्लागर क्या न कर गुजरेंगे
ना सुधरे हैं , ना सुधरेंगे
देर रात तक जाग-जाग कर
खुद को ही बेचैन करेंगे.
बहुत ही बढ़िया व्यंग्य ... पढके मज़ा आ गाय ... बिलकुल अनाविल सत्य ..
क्या बात है आज तो अंदाज़ ही निराला है वंदना जी.......पर क्या हर ब्लॉगर ऐसा ही सोचता है?
बढ़िया रचना .. आनंद से भर दिया ...
hakihat bayan karata hua saarthak byang,aapka likhne ka andaaj anootha hai,har rachanaa benmisaal hoti hai.badhaai sweekaren.
please visit my blog.thanks.
बढिया....
पर क्या करें
अब तो यह रोग लग गया है
छूटने वाला नहीं
और छूटा तो हम छोडने वाले नहीं
बहरहाल
मजेदार
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