कर दिये बंद सारे दरवाज़े
खिडकियाँ झरोखे
समेट लिया खुद को
अन्तस मे
घुटने के लिये
देखना है अब नज़ारा
बिलबिलाते अन्तस के
टुकडे होते अस्तित्व का
और शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण क्या होगा
खिडकियाँ झरोखे
समेट लिया खुद को
अन्तस मे
घुटने के लिये
देखना है अब नज़ारा
बिलबिलाते अन्तस के
टुकडे होते अस्तित्व का
और शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण क्या होगा
25 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !
वंदना जी ये क्या हो गया आइये रौशनी आती झरोखे में झांके कुछ नया शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण और उसका हश्र अच्छा ही होगा
सुन्दर रचना - आभार
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
वाकयी में दमदार है आपकी लेखनी :-)
विचारणीय कविता, आभार......
विचारणीय कविता, आभार......
अंतर्ध्वनि व्यक्त करती पंक्तियाँ , बधाई
vandana ji...
bahut hee bhaavpoorn rachna aapki kalam se ek baar phir...
मेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत् है....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2011/07/blog-post.html
भौतिकी के नये पृष्ठ कुछ नये नतीजे आयेंगे
आनेवाले युग में नव - सिद्धांत पढ़ाए जायेंगे.
मन को उद्वेलित करती अभिव्यक्ति .आभार
नए शब्द नए रूप में अलंकृत से लगे..... भावना बहुत गहरी है.....इस शोधन का ही परिणाम है..... या परिमाण है.....
फूटेगा एक ज्वालामुखी ... बहुत संवेदनशील रचना है ..
वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से हल ढूंढने की कवायद अच्छी लगी
परिणाम जानते जानते बहुत देर हो जाती है।
भावपूर्ण...
बेहद भावपूर्ण.
विचारणीय रचना...
कम शब्दो मे गहरी बात बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी लेखनी
यह तो आत्ममंथन जैसा लग रहा है
बहुत ही भावपूर्ण अभिवयक्ति...
तराजू के ह्रदय तल पर यह
और दूसरे पलड़े में कौन सा भार |
पुराना, शेर वाला या
इस ग्राम वाला ||
देख लो--
पासंग भी ||
कहीं पासंग भर ही न निकले |
बधाई ||
खुबसूरत अंदाज ||
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आत्म मंथन सा करती अच्छी प्रस्तुति
टुकडे होते अस्तित्व का
और शोधन से उपजे
नये द्रव्य का परिमाण क्या होगा
नए द्रव्य का परिमाण यकीनन अनंत होगा यदि आपने बीच में ही प्रयोग समाप्त न कर दिया...
बहुत सुन्दर....
यह भी एक उच्चकोटि की साधना ही है |
खुद में खुद की तलाश का अंत सार्थक ही होगा|
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