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गुरुवार, 28 जुलाई 2011

मेरी मासूमियत को यूं ही कायम रख सकोगे


मै तो हूँ इक बच्चा
भोला भाला
आया हूँ तुम्हारी दुनिया मे
अब तुम पर है ये
मुझे क्या बनाओगे
...मेरी मासूमियत को
यूं ही कायम रख सकोगे
या मुझमे से मुझे खो दोगे
अब तुम पर है ये
इंसान बनाओगे या शैतान
फ़ूल बनाओगे या कांटा
दिन बनाओगे या रात
अंधेरा बनाओगे या उजाला
देखो जो भी बनाना
मगर फिर ना शिकायत करना
क्योंकि मै तो वो माटी हूँ
जिसे जिस सांचे मे ढालोगे
उसी मे ढल जाऊँगा
और वैसा ही आकार पा जाऊँगा
तो सोचना इस बार
किसे बरकरार रखना चाहोगे
किसी शैतानी साये को
मुझमे रहते एक इंसान को
एक गुदगुदाते ख्वाब को
या खुदा सी मासूम निश्छल मुस्कान को

32 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

bahut badhiya rachana prastui...

सदा ने कहा…

वाह ...बेहद नाजुक अहसासो के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बच्चे तो मासूम होते हैं ..सही लिखा है कि क्या बनाना है वो दूसरों पर निर्भर करता है

Maheshwari kaneri ने कहा…

मासूम अहसासों का नाजुक सी रचना..

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है कच्ची मिट्टी के घड़े को जैसी शेप दे दो ...

एस एम् मासूम ने कहा…

अच्छी पंक्तियाँ

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

maasoom si kavita... bahut sundar

Dolly ने कहा…

मासूम नाजुक अहसासो के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति?

बेनामी ने कहा…

सच बात हैं.....बच्चे तो निश्छल होते हैं.....कच्ची मिट्टी की तरह........फिर हम अपने संस्कार उनमे ठूंस देते हैं.....धर्म और जाति में बाँट देते हैं.........बहुत सुन्दर लगी ये पोस्ट|

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

निश्छल मुस्कान ही बरकरार रहे।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जिसे जिस सांचे मे ढालोगे
उसी मे ढल जाऊँगा
और वैसा ही आकार पा जाऊँगा... to khud ko jano, tay karo...mera kaisa roop chahiye !

dr.mahendrag ने कहा…

Sach hi kaha hai, Samaj se bada prashan hai,Answer use dena hai

vidhya ने कहा…

bahut badhiya rachana prastui...

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुंदर।

Manohar ने कहा…

बहुत सुंदर। नाजुक अहसास

अनुपमा पाठक ने कहा…

मासूमियत बनी रहे..!
सुंदर भाव!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sach likha baccha to kaccha ghada hai jo roop degi ye duniya hi degi.

रविकर ने कहा…

महा-स्वयंवर रचनाओं का, सजा है चर्चा-मंच |
नेह-निमंत्रण प्रियवर आओ, कर लेखों को टंच ||

http://charchamanch.blogspot.com/

रूप ने कहा…

'nischhal muskaan' ko meri hardik badhai !

सागर ने कहा…

komal bhaavo ki khubsurat prstuti....

Unknown ने कहा…

जिस और भी ले जाओगे हमारी ऊँगली पकड़ कर चल देंगे बिना पूंछे अब तुन जो आयाम देना चाहो.

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी लगी इस कविता की भावना।

रजनीश तिवारी ने कहा…

bahut hi sundar !

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

मासूम से शब्द,मासूम सी रचना और ममता आपकी अदभुत

अक्षय-मन "!!कुछ मुक्तक कुछ क्षणिकाएं!!" से

rashmi ravija ने कहा…

किसे बरकरार रखना चाहोगे
किसी शैतानी साये को
मुझमे रहते एक इंसान को
एक गुदगुदाते ख्वाब को
या खुदा सी मासूम निश्छल मुस्कान को

बहुत ही उम्दा और सार्थक कविता...

Dorothy ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

aapki racha sochne ko bibash karti hai..shandar prastuti

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut badi baat kahi hai is kavita ke madhyam se.yeh humare upar hi nirbhar hai ki hum aane vaali peedhi ko kya banaye.is post ke liye badhaai.

Anita ने कहा…

बहुत सुंदर अहसास लिये उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करती मासूम सी कविता

विभूति" ने कहा…

बहुत ही कोमल भावो को पिरोया है शब्दों में...

Anupama Tripathi ने कहा…

कल ,शनिवार (३०-७-११)को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ,नई -पुराणी हलचल पर ...कृपया अवश्य पधारें...!!

vishy ने कहा…

Bahut hi sundar
naya hu,aap sab ka sahiyog
link: http//bachpan ke din-vishy.blogspot.com/