मै तो हूँ इक बच्चा
भोला भाला
आया हूँ तुम्हारी दुनिया मे
अब तुम पर है ये
मुझे क्या बनाओगे
...मेरी मासूमियत को
यूं ही कायम रख सकोगे
या मुझमे से मुझे खो दोगे
अब तुम पर है ये
इंसान बनाओगे या शैतान
फ़ूल बनाओगे या कांटा
दिन बनाओगे या रात
अंधेरा बनाओगे या उजाला
देखो जो भी बनाना
मगर फिर ना शिकायत करना
क्योंकि मै तो वो माटी हूँ
जिसे जिस सांचे मे ढालोगे
उसी मे ढल जाऊँगा
और वैसा ही आकार पा जाऊँगा
तो सोचना इस बार
किसे बरकरार रखना चाहोगे
किसी शैतानी साये को
मुझमे रहते एक इंसान को
एक गुदगुदाते ख्वाब को
या खुदा सी मासूम निश्छल मुस्कान को
32 टिप्पणियां:
bahut badhiya rachana prastui...
वाह ...बेहद नाजुक अहसासो के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
बच्चे तो मासूम होते हैं ..सही लिखा है कि क्या बनाना है वो दूसरों पर निर्भर करता है
मासूम अहसासों का नाजुक सी रचना..
सच है कच्ची मिट्टी के घड़े को जैसी शेप दे दो ...
अच्छी पंक्तियाँ
maasoom si kavita... bahut sundar
मासूम नाजुक अहसासो के साथ बेहतरीन प्रस्तुति?
सच बात हैं.....बच्चे तो निश्छल होते हैं.....कच्ची मिट्टी की तरह........फिर हम अपने संस्कार उनमे ठूंस देते हैं.....धर्म और जाति में बाँट देते हैं.........बहुत सुन्दर लगी ये पोस्ट|
निश्छल मुस्कान ही बरकरार रहे।
जिसे जिस सांचे मे ढालोगे
उसी मे ढल जाऊँगा
और वैसा ही आकार पा जाऊँगा... to khud ko jano, tay karo...mera kaisa roop chahiye !
Sach hi kaha hai, Samaj se bada prashan hai,Answer use dena hai
bahut badhiya rachana prastui...
बहुत सुंदर।
बहुत सुंदर। नाजुक अहसास
मासूमियत बनी रहे..!
सुंदर भाव!
sach likha baccha to kaccha ghada hai jo roop degi ye duniya hi degi.
महा-स्वयंवर रचनाओं का, सजा है चर्चा-मंच |
नेह-निमंत्रण प्रियवर आओ, कर लेखों को टंच ||
http://charchamanch.blogspot.com/
'nischhal muskaan' ko meri hardik badhai !
komal bhaavo ki khubsurat prstuti....
जिस और भी ले जाओगे हमारी ऊँगली पकड़ कर चल देंगे बिना पूंछे अब तुन जो आयाम देना चाहो.
बहुत अच्छी लगी इस कविता की भावना।
bahut hi sundar !
मासूम से शब्द,मासूम सी रचना और ममता आपकी अदभुत
अक्षय-मन "!!कुछ मुक्तक कुछ क्षणिकाएं!!" से
किसे बरकरार रखना चाहोगे
किसी शैतानी साये को
मुझमे रहते एक इंसान को
एक गुदगुदाते ख्वाब को
या खुदा सी मासूम निश्छल मुस्कान को
बहुत ही उम्दा और सार्थक कविता...
खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
aapki racha sochne ko bibash karti hai..shandar prastuti
bahut badi baat kahi hai is kavita ke madhyam se.yeh humare upar hi nirbhar hai ki hum aane vaali peedhi ko kya banaye.is post ke liye badhaai.
बहुत सुंदर अहसास लिये उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करती मासूम सी कविता
बहुत ही कोमल भावो को पिरोया है शब्दों में...
कल ,शनिवार (३०-७-११)को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ,नई -पुराणी हलचल पर ...कृपया अवश्य पधारें...!!
Bahut hi sundar
naya hu,aap sab ka sahiyog
link: http//bachpan ke din-vishy.blogspot.com/
एक टिप्पणी भेजें