ओह श्याम क्यूँ आज ये छवि बनाई है
लगता है तुझे भी मोहब्बत की पीर समझ आई है
ओह !दृग बिंदु कैसे बरस रहे हैं
आज श्याम भी तरस रहे हैं
ना जाने किस वैरागन से
मिलन को नैना बरस रहे हैं
पीर नीर बन बह रही है
कोई प्यारी नैनों में अटक गयी है
या प्रीत का कोई तार छू गया है
जो नैनों से अश्रु प्रस्फुटित हो गया है
किस जोगन के तप का फल है
किस विरहिणी का अश्रु प्रपात
श्याम नयन से झर रहा है
ये निर्मोही , अनित्य , चिदानंद
आज किस के लिए रो रहा है
इसने तो किसी का होना ना जाना
कर्तुम अकर्तुम अन्यथा कर्तुम
वेश बना सिर्फ यही सन्देश दिया
ना मैं करता ना मैं भोक्ता
फिर क्यूँ कर आज ये नीर बहा
लगता है आज तू इन्सान बन गया
जभी तुझे भी दर्द हुआ
और अश्रुधार बह चली
तेरे मन की व्यथा भी कह चली
प्रेम ना बोया काटा जा सकता है
प्रेम दीवानों को तो सिर्फ
प्रेम भ्रमर ही काट सकता है
प्रेम ही जिला सकता है
प्रियतम से मिला सकता है
ये प्रेम की अनुभूति लगता है
आज तूने भी जान ली है
यूँ ही तो नहीं नैनों से अश्रु लड़ी झड़ी है .........क्यूँ श्याम है ना !!!
बता न श्याम ..........
क्या तूने भी भाव सागर में डुबकी लगायी है
या राधे चरणों की याद सता रही है
क्या राधा प्यारी की निस्वार्थ प्रीत याद रही है
या मैया का निष्कपट स्नेह की याद आ गयी है
या वृन्दावन की कुञ्ज गलियाँ बुला रही हैं
या गोपियों का माखन याद आ रहा है
या कदम्ब की डाली बुला रही है
बंसी की धुन जहाँ अब भी गुंजा रही है
या यमुना का तट बाट जोह रहा है
और तेरा मन टोह रहा है
या गईयों की रम्भाहट तुझे अकुला रही हैं
जो तेरी वंशी सुनने को तरस रही हैं
या बृज रज को तू भी तरस रहा है
बता ना श्याम ! ये अश्रुपात क्यूँ कर हो रहा है
शायद मीरा ने तान लगायी है
शायद शबरी ने फिर राह बुहारी है
शायद विदुरानी के छिलके याद आये हैं
शायद सुदामा के तंदुल की भूख सताई है
शायद फिर किसी द्रौपदी की पुकार कर्णों में आई है
शायद फिर किसी ध्रुव ने तेरा आसान हिलाया है
शायद फिर कोई भक्त तेरे प्रेम में मतवाला हुआ है
और तेरे प्रेम रस की भांग जिसने पी ली है
पीली चुनरिया भी पहन ली है
प्रेम का महावर रचा लिया है
श्याम नाम की मेहंदी लगा ली है
प्रीत का आज बासन्ती श्रृंगार किया है
महारास का फिर किसी ने इज़हार किया है
अपना संपूर्ण समर्पण किया है
शायद फिर कोई भक्त मीरा- राधा - सा
प्रेम का गरल पी मरणासन्न हुआ है
कोई तो कारण है ..........श्याम
यूँ ही तो नहीं नैनों ने अश्रु मोतियों से श्रृंगार किया है ...........
27 टिप्पणियां:
श्याम के नैना के अश्रु तो छलावा हैं ..वो तो बहते हैं तो बस राधा के लिए ..और राधा कौन है ?
राधा भी तो श्याम है ..श्याम ही तो राधा है ..
वंदना जी बहुत अच्छा लिखा है आपने ..
kalamdaan.blogspot.in
सुन्दर..
प्रेमपगी...
लिखना जायज़ है :-)
सस्नेह..
निःशब्द कभी चित्र कभी शब्द शब्द में बह रही हूँ ...
अरीई ....आज महराज को क्या हुआ ? ये कौन सी लीला है छलिया ? हाय वृषभान की छोरी कित गयी ? ...आह कलेजा फट रहा है ...आपकी आँखों में मोती ..नहीं देख पाउँगा!!
ओओह मेरे माधव !
प्रीत का शृंगार कर श्याम का इंतज़ार ... भावनाओं का सुंदर प्रवाह ॥
देख लीजिये आनन्द जी…………
खुद ने जब अश्रु बहाये तो सबके अश्रु निकल आये
मगर जब सबने अश्रु बहाये तो मधुर मुस्कान बिखेर मन हरते हैं
ये मनमोहन , ये छलिया बस ऐसे ही छलते हैं ……………
हम तो इसकी आँख मे अश्रु देख विह्वल हुये जाते हैं
क्या कभी इन्हें भी हम याद आते हैं
कभी ये भी हमारी याद मे यूँ ही नीर बहाते हैं
der se hee sahee
yahee kyaa kaafee nahee
aayee to hai
कल प्रेम दिवस पर तेवर थे....!
आज मीरा दीवानी के तेवर हैं ..श्याम दिवस पर !
बहुत सुंदर !प्रेम के रूप ...
हरेक शब्द अपने साथ भावनाओं के प्रवाह में बहा ले जाता है...बहुत भावमयी प्रस्तुति..
खूबसूरत कविता...
प्रेम का सुन्दर रूप..
कमाल है आपका वंदना जी.
श्याम को भी अपने हाथ की कठपुतली ही बना रखा है.
कभी शैतानी करवाती हैं उससे , तो कभी अश्रुपात करवा रहीं हैं उसका.
सुन्दर भावपूर्ण भक्तिमय प्रस्तुति के लिए आभार.
श्याम अनित्य है या नित्य ?
क्या बताया कृष्ण ने ...रूठ कर ही पूछा होता कि क्या सचमुच ही किसी की याद में आंसू बहा रहे हैं या यह भी उनकी कोई माया है !!!
क्या बताया कृष्ण ने ...रूठ कर ही पूछा होता कि क्या सचमुच ही किसी की याद में आंसू बहा रहे हैं या यह भी उनकी कोई माया है !!!
यही तो समझ नही आया है
पता नही किस बैरन ने इतना रुलाया है
जो मेरे सलोने का सलोना मुख कुम्हलाया है
ये बदली रुकती दिखती नही है
ज्यूँ मेघ मल्हार कोई गाया है
हाय! श्याम को किसने नज़र लगाया है
कौन परछावाँ डाल गयी निगोडी
ज़रा उसका पता बता दो कोई
मेरे श्याम की नज़र उतारो कोई
बांसुरिया उसकी ला दो कोई
सखियन से मिलवा दो कोई
प्रेम बयार बहा दो कोई
अब तो सिर्फ़ यही कह सकती हूँ वाणी जी
waah..isiliye to ye manmohan kahalaate hain...sundar rachna..bahut bahut bahdaai
आँख की चमक आँसू से धुलने के बाद आयी है..
bahut sundar bhaktimay ras me doobi rachna.
बहुत बेहतरीन....
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
अध्यात्मिकता से ओत-प्रोत कविता।
कृष्ण के रंग में रंगी बहुत सुंदर रचना !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
बहुत ही सुन्दर यह कृष्णमय शब्दों का संगम ...।
बहुत सुंदर भावमयी और प्रेममयी रचना...
श्याम रंग में रंगी सुंदर रचना.मन में एक दृश्य खिंच गया.
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३१) में शामिल की गई है/आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह लगन और मेहनत से हिंदी भाषा की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /
खूबसूरत भाव संजोये हैं उस माया को रचने वाले को लेकर .. पर ये माया कृष्ण है राधा है या दोनों ही एक हैं ....
लाजवाब रचना ...
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