इश्क इन्सान की जरूरत
कब बन जाता है
पता ही नही चलता
इश्क करते करते इश्क
कब खुदा बन जाता है
पता ही नही चलता
इश्क की खातिर
कब जान चली जाती है
पता ही नही चलता
इश्क की गली में
दुनिया को कब भूल जाते हैं
पता ही नही चलता
इश्क ही खाना
इश्क ही पीना
इश्क ही सोना
इश्क ही रोना
इश्क ही हँसना
इश्क ही ख्वाब
इश्क ही हकीकत
कब बन जाता है
पता ही नही चलता
इश्क के दरिया में
डूबकर भी
दिल की प्यास
कायम रहती है
इश्क के पागलों को
कब खुदा मिल जाता है
पता ही नही चलता
4 टिप्पणियां:
आप इतनी जल्दी जल्दी कैसे ख्वाब बुन लेती हैं?
इश्क के पागलों को
कब खुदा मिल जाता है
पता ही नही चलता
वाह क्या बात हैं। ये इश्क की माला अच्छी लगी।
बहुत सुन्दर भाव हैं।बधाई।
इश्क इन्सान की जरूरत
कब बन जाता है
पता ही नही चलता
इश्क करते करते इश्क
कब खुदा बन जाता है
बहुत सुदर ....
इश्क के पागलों को
कब खुदा मिल जाता है
पता ही नही चलता
vandana ji
khuda ke ishq me jo maza hai ,wo aur kahan ..
badhai
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