आज आँख से आंसू नही खून निकला है
शायद दर्द अब कुछ और बढ़ गया है ।
अब मोहब्बत की किताब को बंद कर दिया है
शायद मोहब्बत शब्द का अब अर्थ बदल गया है ।
कौन सूखे हुए फूलों से दोस्ती करता है
शायद दोस्ती का अब रंग बदल गया है ।
अब तो आह भी आह नही करती
शायद आह का भी अब ढंग बदल गया है ।
7 टिप्पणियां:
bahut sundar dhang se prastut kiya hai..
bahut hi badiya rachna. vaqt par bahut hi achha ktaksh. man ko chhoo gayee.
बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने अपने मनोभावों को!
हाँ ये तो है आजकल हर चीज का रंग ढ़्ग बदल गया हैं। बहुत ही अच्छे शब्दों से आज का सच कह दिया।
कौन सूखे हुए फूलों से दोस्ती करता है
शायद दोस्ती का अब रंग बदल गया है ।
सच्ची।
vandana ji ,
bahut sundar gazal , behad bhaavpoorn aur sampoornta liye hue..
आज आँख से आंसू नही खून निकला है
शायद दर्द अब कुछ और बढ़ गया है
ye lines bahut acchi hai
aapko dil se badhai
अब तो आह भी आह नही करती
शायद आह का भी अब ढंग बदल गया है ।
man ko achchhi lagi.
जिन्दगी में बहुत कुछ
बदल गया है....शायद जिन्दगी के मायने ही
बदल गए हैं....
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