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शनिवार, 14 फ़रवरी 2009

आह

आज आँख से आंसू नही खून निकला है
शायद दर्द अब कुछ और बढ़ गया है ।


अब मोहब्बत की किताब को बंद कर दिया है
शायद मोहब्बत शब्द का अब अर्थ बदल गया है ।


कौन सूखे हुए फूलों से दोस्ती करता है
शायद दोस्ती का अब रंग बदल गया है ।


अब तो आह भी आह नही करती
शायद आह का भी अब ढंग बदल गया है ।

7 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

bahut sundar dhang se prastut kiya hai..

shivraj gujar ने कहा…

bahut hi badiya rachna. vaqt par bahut hi achha ktaksh. man ko chhoo gayee.

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने अपने मनोभावों को!

सुशील छौक्कर ने कहा…

हाँ ये तो है आजकल हर चीज का रंग ढ़्ग बदल गया हैं। बहुत ही अच्छे शब्दों से आज का सच कह दिया।
कौन सूखे हुए फूलों से दोस्ती करता है
शायद दोस्ती का अब रंग बदल गया है ।

सच्ची।

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana ji ,

bahut sundar gazal , behad bhaavpoorn aur sampoornta liye hue..

आज आँख से आंसू नही खून निकला है
शायद दर्द अब कुछ और बढ़ गया है

ye lines bahut acchi hai

aapko dil se badhai

Prem Farukhabadi ने कहा…

अब तो आह भी आह नही करती
शायद आह का भी अब ढंग बदल गया है ।
man ko achchhi lagi.

बेनामी ने कहा…

जिन्दगी में बहुत कुछ
बदल गया है....शायद जिन्दगी के मायने ही
बदल गए हैं....