नदी के दो किनारों को देखा है कभी
साथ साथ चलते हुए भी
कभी मिलते हैं क्या
ज़िन्दगी भर का साथ होता है
मगर फिर भी मिलने को तरसते हैं
फिर क्यूँ तुम नही समझते हो
हमारा साथ नदी के किनारों सा है
जो साथ रहकर भी कभी नही मिलते
भावनाओं की लहरों के सेतु पर
सिर्फ़ भावनाएं ही हमें मिलाती हैं
न मिलने की पीड़ा से क्यूँ तड़पते हो
शुक्र है साथ साथ तो चलते हो
अपने अपने तटबंधों से बंधे हम
तुम क्यूँ उन्हें तोड़ने की नाकाम कोशिश करते हो
क्या तब तुम मुझे पा सकोगे
नहीं, कभी नही
तब तो तुम्हारा आकाश
और बिखर जाएगा
जिन भावों को,दर्द को
पीड़ा को , आंसुओं को
तुमने अपने किनारों में
समेटा हुआ था
वो चारों तरफ़ फ़ैल जायेंगे
और तुम एक बार फिर उन्हें समेटना चाहोगे
फिर एक बार किसी
तटबंध में बंधना चाहोगे
मगर हर बार
तटबंध उतने मजबूत नही बनते
गर बनते भी हैं तो
अहसास मर चुके होते हैं
जज़्बात ख़त्म हो जाते हैं
वहां सिर्फ़ और सिर्फ़
कंक्रीट की दीवार होती है
जहाँ सब खामोश हो जाते हैं
मीलों तक फैली खामोशी
सिर्फ़ चुपचाप चलते जाना
बिना रुके, बिना सोचे
बिना किसी अहसास के
सिर्फ़ चलते जाना है
तुम क्यूँ ऐसा चाहते हो
क्यूँ नही अपने आकाश में
खुश रह पाते हो
हर बार मिलन हो
ये जरूरी तो नही
बिना मिले भी हम
एक दूसरे को देख पाते हैं
भावनाओं को एक दूसरे
तक पहुँचा पाते हैं
इतना क्या कम है
कम से कम साथ
होने का अहसास तो है
ज़िन्दगी भर की खामोशी
से तो अच्छा है
दूर से ही सही
दीदार तो मिला
कुछ पल का ही सही
तेरा साथ तो मिला
आओ एक बार फिर हम
अपने अपने किनारों में सिमटे
दूर रहकर भी
साथ होने के
अहसास में भीग जाएँ
9 टिप्पणियां:
bahut sundar rachanaa hai
आपकी रचना की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है ....बहुत अच्छा लिखा है
बहुत सुन्दर रचना, साधुवाद!
बहुत सुंदर लिखा है....
वंदना जी आपको एक काम करना पडेग़ा। मुझे हिंदी का शब्दकोष ला दिजिए या फिर किसी रचना की तारीफ के लिए क्या क्या कहा जा सकता वो ढेरे सारे शब्द ही बता दिजिए। मै मजाक नही कर रहा हूँ।
बहुत ही गहरी बात इतने सुन्दर ढ़ग से कही है आपने। बहुत उम्दा। अद्भुत।
बहुत सुन्दर भाव हैं.आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ, अच्छा लगा.अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा..
हर बार मिलन हो
ये जरूरी तो नही
बिना मिले भी हम
एक दूसरे को देख पाते हैं
वाह...क्या भाव पैदा किए हैं इस रचना में....वाह...बहुत बहुत बहुत अच्छी...
नीरज
दूर से ही सही
दीदार तो मिला
कुछ पल का ही सही
तेरा साथ तो मिला
आओ एक बार फिर हम
अपने अपने किनारों में सिमटे
दूर रहकर भी
साथ होने के
अहसास में भीग जाएँ
nice crafting of emotions with words
badhai
भावनाओं की लहरों के सेतु पर
सिर्फ़ भावनाएं ही हमें मिलाती हैं
यह मिलन हर मिलन से महान है|
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