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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

मैं दर्द में घुली इक नज़्म बनी होती

मैं 
दर्द में घुली इक नज़्म बनी होती
हर हर्फ़ में दर्द की ताबीर होती 
कुछ तो लहू- सा दर्द रिसा होता
हर्फों के पोर- पोर से तो
और हर पोर हरा बना होता 
असीम अनुभूत वेदना का 
साक्षात्कार किया होता 
तो शायद दर्द भी 
पनाह मांग बैठा होता
दर्द के आगोश में मैं क्या
दर्द ही मेरे आगोश में
सिमट गया होता
कुछ तो दर्द को भी
सुकून मिल गया होता
मेरे दर्द की जिंदा लाश पर
कुछ देर दर्द भी जी लिया होता    

15 टिप्‍पणियां:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

drd ke chaahat kaa pehli baar aesaa ajb andaaz dekhaa he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'तो शायद दर्द भी

पनाह मांग बैठा होता

दर्द के आगोश में मैं क्या

दर्द ही मेरे आगोश में

सिमट गया होता '

******************

गहन भावानुभूति की सुन्दर अभिव्यक्ति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मैं नीरभरी।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

दर्द को बयां करती दर्द में ही घुली बेहतरीन रचना...मै दर्द में घुली इक नज्म होती...क्या बात है..तब तो हर नज्म ही दर्द की दास्ता कहती....बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति.....धन्यवाद।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया!

सादर

Atul Shrivastava ने कहा…

'...कुछ देर दर्द भी जी लिया होता...'
बेहतरीन अभिव्‍यक्ति।
शुभकामनाएं आपको।
आप मेरे ब्‍लाग में आकर इस दिलचस्‍प रपट को पढिए। आपके कमेंट के इंतजार में,
http://atulshrivastavaa.blogspot.com/2011/03/blog-post_26.html

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मैं दर्द में घुली इक नज़्म बनी होती
हर हर्फ़ में दर्द की ताबीर होती ..

बहुत दर्दीली सी नज़्म ...कहीं न कहीं हर रचना में दर्द ज़रूर होता है ...हर्फ़ दर हर्फ़ दर्द की ताबीर मत बनिए ..

ZEAL ने कहा…

वंदना जी ,
दर्द की अद्भुत अभिव्यक्ति। वाह !

बेनामी ने कहा…

वंदना जी,

उर्दू का खुबसुरत इस्तेमाल हुआ.....पर शायद और अच्छा लगता गर पूरी पोस्ट एक ही ले में बंध जाती........सराहनीय

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत दर्द भरी रचना ! हमें भी दर्द की गिरफ्त में लपेट बैठी ! खूबसूरत प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें !

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

Sundar rchana !bhavnaa myi abhivykti !

Dr Varsha Singh ने कहा…

दर्द के आगोश में मैं क्या
दर्द ही मेरे आगोश में
सिमट गया होता...

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें !

आशुतोष की कलम ने कहा…

अब तो दर्द को भी दर्द होने लगा...
मार्मिक अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा

नीरज गोस्वामी ने कहा…

दर्द में डूबी इस रचना के लिए साधुवाद स्वीकारें...
नीरज

Hema Nimbekar ने कहा…

बहुत ही मार्मिक और अद्भुत अभिव्यक्ति !