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रविवार, 8 जून 2008

दर्द -ऐ - दिल

दिल के टूटने की आवाज़ वो सुनकर भी नही सुनता ,
सब कुछ समझ कर भी वो कुछ भी नही समझता,
किसी के दिल पर क्या बीती है ----वो जानता है ,
इतना भी नासमझ नही ------फिर क्यों वापस बुलाता नही ,
दर्द जब हद से बढ़ जाएगा वो तब भी न वापस आएगा ,
जब हम न रहेंगे -------यह जानकर भी ,
वो हमको न वापस बुलाएगा।

5 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

jakhm apne kured diye hai . bahut badhiya .dhanyawaad.

Neo ने कहा…

yahi to risto ki ahiymat pata chalti hai...her tarf yahi hai..but chah kar bhi koi age nhi badta....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वन्दना जी।
यह आपका कोरा बहम है।
कोई किसी को नही बुलाता है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ऐसा ही होता है ...

Minakshi Pant ने कहा…

दर्द को परिभाषित करती खूबसूरत रचना |
बहुत सुंदर रचना दोस्त :)