किसी ने कुच्छ कहा नही
फिर भी हमने सुन लिया
बिना कहे भी बात होती है
उसको कभी देखा नही
फिर भी हमने देख लिया
बिना देखे भी मुलाक़ात होती है
कभी कभी किसी को जाने बिना
हम जान लेते हैं ,पहचान लेते हैं
कुच्छ ऐसे नाते होते हैं
जो कभी अपने नही होते
फिर भी अपने से लगते हैं
कुच्छ रूहों को
न देखने की न जानने की
न पहचानने की
न अपनेपन की जरूरत होती है
यह तो जन्मों के नाते होते हैं
जो दिलों से बंधे होते हैं
5 टिप्पणियां:
कुच्छ रूहों को
न देखने की न जानने की
न पहचानने की
न अपनेपन की जरूरत होती है
यह तो जन्मों के नाते होते हैं
जो दिलों से बंधे होते हैं
bhot acchi paktiyan hain vandana ji ...Bdhai.
कभी कभी किसी को जाने बिना
हम जान लेते हैं ,पहचान लेते हैं
kitna sahi kaha hai aapne
sundar
jahan dilo ki baat hoti hai , wahan shabdo ki kya jarurat .
aapki nazm ki kya baat hai , aap ki har nazm mein kuch naya sa hota hai .. sochne ke liye bahut bada canvas chahiye ..
bahut badhai
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
aap bahut accha likhti hai vandana ji .. shabd dil ke bheetar chale jaaten hai ..
bahut sundar..
aapko bahut bahut badhai
maine kuch naya likha hai , aapka aashirwad chaiye.
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
वंदना जी ;
कल मैंने इस कविता पर एक कमेन्ट लिखा था , पता नही , शायद delete हो गया ;
इन पख्तियों ने बहुत गहरी छाप छोडी मन पर ;
" कुच्छ ऐसे नाते होते हैं
जो कभी अपने नही होते
फिर भी अपने से लगते हैं "
एक छोटा सा suggestion " कुच्छ " को " कुछ " लिख दीजियेगा .
आप बहुत अच्छा लिखती है .
आप यूँ ही लिखते रहिये , बस यही दुआ है मेरी .
विजय
http://poemsofvijay.blogspot.com/
एक टिप्पणी भेजें