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सोमवार, 29 अगस्त 2011

आइये मिलिये ग़ुडिया इंग्लिशतान से























आओ मिलाऊँ सबको मै 
गुडिया इंग्लिशतान से 
रहन सहन आचार वि्चार मे 
जिसके बसता हिन्दुस्तान है 
इंग्लिशतान से आयी वो 
मगर हिंदी ना भूल पायी जो 
रुसी , अंग्रेजी , हिंदी सब भाषाओं का
जिसको ज्ञान है
पर सबसे ऊपर  अपनी
हिन्दुस्तानी जबान है 
खुशदीप सहगल, सर्जना शर्मा, गीताश्री ने
  शिखा वार्ष्णेय से मिलने को 
प्रेस क्लब मे ब्लोगर मीट कराई है 
राकेश कुमार और राजीव तनेजा 
सपत्नीक पधारे थे 
उसमे हमने भी अपने हाथ आजमाये थे 
मीठी वाणी ने सबके मन को मोहा था
  प्रेम भरी वाणी ही सब ब्लोगर का तोहफ़ा था
  बातों की सबने खूब
धमाचौकडी मचाई थी 
खाने पीने के लिए
पेट भी किराये पर मंगवाये थे 
जितना  खाया उतना ही
बैठकर वार्तालाप किया 
राजनीति से लेकर 
घर दुनिया तक
सब पर विचारों का आदान प्रदान किया 
अब कैसे कह दें ये दुनिया आभासी है 
जब विदेशी धरतीवासी
भारतीय भी मिलन को आये थे 
दूरी का ना कोई महत्त्व रहा 
सिर्फ़ स्नेह का ही आदान प्रदान हुआ 
हंसी खुशी शुभकामनाओं संग
  शिखा जी को विदा किया 
प्रेम के नाते बने रहें 
ब्लोगर मीट होती रहे 
ब्लोगिंग आगे बढती रहे 
यही कामना करते हैं
 चलो दोस्तों अब हम भी विदा लेते हैं।


















शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

कब तक भरम में जिए कोई

जब इन्सान टूटता है
तब शब्द भी खामोश
हो जाते हैं
एक कन्दरा में
दुबक जाते हैं
जहाँ सिर्फ स्याह
अंधेरों के और
कुछ नहीं होता
सब शून्य में
जाने लगता है
ज़िन्दगी से मन
उपराम होने
लगता है
कोई साया
अपना नज़र नहीं आता
जो दीखता है अपना
वो कभी अपना
होता ही नहीं
जिसके लिए उम्र
तमाम की होती है
उसे ही तुम्हारी
उम्र का लिहाज़ नहीं रहता
तुम्हारी चाहतों की
परवाह नहीं होती
तुम्हारी रोती सूजी आखें
भी उसके पाषण ह्रदय
को नहीं पिघला पातीं
पता नहीं कैसे
एक उम्र गुजार देते हैं
जहाँ कहीं अपनत्व
होता ही नहीं
सिर्फ समझौते ही
आस पास दस्तक
देते रहते हैं
उनकी खातिर
हर ख्वाहिश को
जिन्होंने ज़िन्दा
दफन किया होता है
वो ही जब
हाथ छिटक देते हैं
मन आहत हो जाता है
और भागता है
खुद से भी
कहीं कोई किरण
नज़र नहीं आती
जीने की वजह
मिटने लगती हैं
और ख़ामोशी
मन की पहरेदार
बन अन्दर की
दीवारे खोखली
करने लगती है
जो एक ठेस से
ही ढह जाती हैं
आखिर उम्र का भी
एक मुकाम होता है
कब तक भरम में जिए कोई
कभी तो ज़मींदोज़ होना
ही पड़ता है कफ़न को

सोमवार, 22 अगस्त 2011

मेरे ह्रदय मे जनम तुम लो ना




आओ मोहना मनमोहना
मेरे ह्रदय मे जनम तुम लो ना-2-

श्याम सोहना बाँका मोहना
बाँकी छवि इक बार दिखलाओ ना-2-


मुरली बजाओ ना रास रचाओ ना
अपनी राधा मुझे भी बनाओ ना-2-


श्याम आओ ना प्रीत बढाओ ना
मेरा मनरूपी माखन चुराओ ना-2-


हाथ बढाओ ना गले लगाओ ना
प्यारे मुझको भी अपना बनाओ ना-2-


प्यास बुझाओ ना तृष्णा मिटाओ ना
मेरी प्रीत को सफ़ल बनाओ ना-2-