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शुक्रवार, 20 जून 2008

इसलिए बहुत गहरे कुछ चुभ सा गया है

कहीं बहुत गहरे कुछ चुभ सा गया है
हमने भी चाहा कोई सिर्फ़ हमें प्यार की हद तक चाहे
मगर प्यार सब का नसीब नही होता
चाहत पैदा तो नही की जा सकती
शायद हम ही न थे इस काबिल किसी की चाहत बन सकते
प्यार की किस्मत में सिर्फ़ रुसवाई ही होती है
कोई होता जो सिर्फ़ हमें चाहता
सिर्फ़ हमें................
उसके आगे रिश्ता न चाहता
मगर किसी की चाहत के काबिल बनना आसान नही होता
इसलिए बहुत गहरे कुछ दरक गया है
कांच से भी नाजुक है जो
ऐसे दिल को कैसे कोई समझाए
सब कुछ मिला इसे मगर
सिर्फ़ दिल को चाहने वाला न मिला
कुछ अपनी कहने वाला
कुछ इसकी सुनने वाला न मिला
इसलिए बहुत गहरे कुछ चुभ सा गया है

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