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सोमवार, 17 मई 2010

महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम

कोई मिस्टर जलजला एकाध दिन से स्वयम्भू चुनावाधिकारी बनकर.श्रेष्ठ महिला ब्लोगर के लिए, कुछ महिलाओं के नाम प्रस्तावित कर रहें हैं. (उनके द्वारा दिया गया शब्द, उच्चारित करना भी हमें स्वीकार्य नहीं है) पर ये मिस्टर जलजला एक बरसाती बुलबुला से ज्यादा कुछ नहीं हैं, पर हैं तो  कोई छद्मनाम धारी ब्लोगर ही ,जिन्हें हम बताना चाहते हैं कि हम  इस तरह के किसी चुनाव की सम्भावना से ही इनकार करते हैं.

ब्लॉग जगत में सबने इसलिए कदम रखा था कि न यहाँ किसी की स्वीकृति की जरूरत है और न प्रशंसा की.  सब कुछ बड़े चैन से चल रहा था कि अचानक खतरे की घंटी बजी कि अब इसमें भी दीवारें खड़ी होने वाली हैं. जैसे प्रदेशों को बांटकर दो खण्ड किए जा रहें हैं, हम सबको श्रेष्ट और कमतर की श्रेणी में रखा जाने वाला है. यहाँ तो अनुभूति, संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति से अपना घर सजाये हुए हैं . किसी का बहुत अच्छा लेकिन किसी का कम, फिर भी हमारा घर हैं न. अब तीसरा आकर कहे कि नहीं तुम नहीं वो श्रेष्ठ है तो यहाँ पूछा किसने है और निर्णय कौन मांग रहा है? 
हम सब कल भी एक दूसरे  के लिए सम्मान रखते थे और आज भी रखते हैं ..
                            
 अब ये गन्दी चुनाव की राजनीति ने भावों और विचारों पर भी डाका डालने की सोची है. हमसे पूछा भी नहीं और नामांकन भी हो गया. अरे प्रत्याशी के लिए हम तैयार हैं या नहीं, इस चुनाव में हमें भाग लेना भी या नहीं , इससे हम सहमत भी हैं या नहीं बस फरमान जारी हो गया. ब्लॉग अपने सम्प्रेषण का माध्यम है,इसमें कोई प्रतिस्पर्धा कैसी? अरे कहीं तो ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई प्रतियोगिता  न हो, जहाँ स्तरीय और सामान्य, बड़े और छोटों  के बीच दीवार खड़ी न करें.  इस लेखन और ब्लॉग को इस चुनावी राजनीति से दूर ही रहने दें तो बेहतर होगा. हम खुश हैं और हमारे जैसे बहुत से लोग अपने लेखन से खुश हैं, सभी तो महादेवी, महाश्वेता देवी, शिवानी और अमृता प्रीतम तो नहीं हो सकतीं . इसलिए सब अपने अपने जगह सम्मान के योग्य हैं. हमें किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं है.
 
इस विषय पर किसी  तरह की चर्चा ही निरर्थक है.फिर भी हम इन मिस्टर जलजला कुमार से जिनका असली नाम पता नहीं क्या है, निवेदन करते हैं  कि हमारा अमूल्य समय नष्ट करने की कोशिश ना करें.आपकी तरह ना हमारा दिमाग खाली है जो,शैतान का घर बने,ना अथाह समय, जिसे हम इन फ़िज़ूल बातों में नष्ट करें...हमलोग रचनात्मक लेखन में संलग्न रहने  के आदी हैं. अब आपकी इस तरह की टिप्पणी जहाँ भी देखी जाएगी..डिलीट कर दी जाएगी.

19 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

जलजले आये कई ,और कई चले गए
हम अपनी ब्लोगिंग लिए ,पर यहीं अड़े रहे.
लाख कर ले कोई जुगत डालने की फूट यहाँ
जलजला रह जायेगा बस बनकर बुलबुला यहाँ

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

इस जलजले के लिए इस प्रकार की पोस्‍टें भी मत लिखिए। इसकी टिप्‍पणियों को भी डिलीट करिए। ये नफरत और वैमनस्‍य का वो अंकुर है जो जहर ही उगलता है।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

ब्लागजगत में ऎसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जिनके पास बुद्धि बहुत थोडी लेकिन समय बहुत ज्यादा है...ये श्रीमान जलजला भी उसी फालतू श्रेणी के जीव हैं...

दीपक 'मशाल' ने कहा…

बिलकुल यही मेरे ख्याल भी हैं मैम, मुझे तो ये किसी कॉमिक्स का खलनायक लगता है..जो फिर से सबको झगडाने आया है..

Mithilesh dubey ने कहा…

भलाई का जमाना ही नहीं रहा ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

यह जलजला दुत्‍कार के भी काबिल नहीं है बस भीतर ही भीतर तय कर लें कि इसकी टिप्‍पणी जहां भी दिखलाई देगी सब इसे डिलीट कर देंगे।

aarya ने कहा…

सादर वन्दे !
जी बिलकुल! आपने सही कहा!
रत्नेश त्रिपाठी

M VERMA ने कहा…

जलजला कब रूका है चला जायेगा

कैरियर्स वर्ल्ड ने कहा…

nice post

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

छद्म वेश में क्या कोई जलजला लाएगा
हमारी एकता से बस मुंह की खायेगा .

मूसल चन्द बन जो दाल भात के बीच आएगा
हम सबके सामने वो यूँ ही पिस जाएगा

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आप सब महिला ब्लोगरों ने यह एक उत्तम काम किया ! पहले तो आपसे यह कहूंगा कि इसके क्षद्म नाम के आगे 'जलजला जी" जैसा संबोधन उचित नहीं है क्योंकि यह भी एक निहायत घटिया और गिरी हरकत उस ख़ास विरादरी "...." की ही है, जो इस ब्लॉग जगत में कुछ समय से गंध फैलाए है ! इन कायरों का काम ही मुखौटे लगा कर लोगो को छलना है ! यह निखिल तथा राहुल नाम से भी टिपण्णी करता है, अगर यह इतना ही अपने को बुद्धिजीवी समझता तो इस तरह की ठेकेदारी न कर अपने ब्लॉग पर कुछ रचनात्मक लिखता, मगर इनके पास कुछ रचनात्मक हो तो ये लिखे , इनकी पैदाइश ही डिस्ट्रक्शन से हुई अत: इनसे Constructive की उम्मीद भी मत रखिये और इनको भाव देने की मैं समझता हूँ कि कोई जरुरत नहीं !

समयचक्र ने कहा…

महिला शक्ति को प्रणाम और नमन ...

Unknown ने कहा…

परजीवी हैं और क्या करेंगे वेचारे

Arvind Mishra ने कहा…

खेदजनक

अजय कुमार ने कहा…

आपसे सहमत ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html और जलजला गुजर गया।

pallavi trivedi ने कहा…

एकदम सही कहा....

Ra ने कहा…

छोटी सी उमर में हमने ऐसे कई जलजले देखे है ...आये है आते रहेंगे ,,,,उनका आना समस्या नहीं ,,,// समस्या है उनका प्रत्यक्ष या गुप्त रूप से साथ देना ....अगर उनका विरोध करे तो ......खुद ही मुह की खा कर चले जायेंगे ......इस बार आपने सामना किया ,जलजला चला गया ....अच्छा लगा ..आगे भी हमें सतर्क रहना पड़ेगा

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अब तो जलजला ने माफी माँग ली है!