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सोमवार, 13 जून 2011

वो जो शख्स रहता है मुझमे

वो जो शख्स रहता है मुझमे 
गर्मी की धूप सा जलता है मुझमे 
लावा जब कोई फूटता है उसमे
सुकूँ का इक दरिया बहता है मुझमे 
निकलती जब आह है उसमे 
डरता तब आसमान भी है उससे 
रेत भी समंदर नज़र आता है उसमे
दर्द से जब वो खिलखिलाता है मुझमे 
रौशनियों से जब लड़ता है मुझमे
अंधेरों को तब जीता है मुझमे 
वो जो शख्स रहता है मुझमे 
धूल भरी आँधियों सा चलता है मुझमे 

33 टिप्‍पणियां:

ZEAL ने कहा…

बेहद गहन अभिव्यक्ति वाली सुन्दर रचना वंदना जी ।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

आपकी कविता का फलक निरंतर विस्तारित हो रहा है.... इसी क्रम की सुन्दर कविता है यह.. बहुत उम्दा.... अंतिम पंक्तियों में कविता का सार है...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत खूब..हमेशा की तरह...कम शब्दों में गहरी बात
नीरज

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ...

Vijuy Ronjan ने कहा…

bahut hi acchi kavita...shayad ham sabke bheetar ye salila nahti hai par isme nahane ka anand kam log hi utha paate..

lava ki nadi itni sheetalocha na tha...anandit hua.

अशोक सलूजा ने कहा…

अंधेरों से उजालों की ओर ....
शुभकामनाएँ!

Arunesh c dave ने कहा…

आम आदमी के अंदर छुपे दावानल को अच्छा दर्शाया आपने जिस दिन फ़ूट जायेगा सब नेता लाईन मे आ जायेंगे

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......शानदार |

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रौशनियों से जब लड़ता है मुझमेअंधेरों को तब जीता है मुझमे .. और आंधियों स चलना उसका ... मन के द्वंद्व को बखूबी लिखा है ..

rashmi ravija ने कहा…

वो जो शख्स रहता है मुझमे
धूल भरी आँधियों सा चलता है मुझमे

बेहद ख़ूबसूरत

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वो जो शख्स रहता है मुझमे धूल भरी आँधियों सा चलता है मुझमे ... gahri baat , gahri udwignta

Anita ने कहा…

लावा बहे और सुकून का अहसास हो तो सचमुच बहुत गहरी बात है.. सुंदर रचना !

सदा ने कहा…

गहन भावों का समावेश ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Sunil Kumar ने कहा…

वो जो शख्स रहता है मुझमे
धूल भरी आँधियों सा चलता है मुझमे
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति गहन भावों की .....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

वंदना जी, आपका जवाब नहीं।

---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
नदी : एक चिंतन यात्रा।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत खूब..बेहतरीन!!

Unknown ने कहा…

बेहद गहन , अंतर तक पहचान छोड़ते शब्द , निरंतर गहन होती काव्यधारा के लिए बधाई शुभकामनाये भी

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

बहुत ही लाजबाव रचना एंव चिँतन । आभार वन्दना दी ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कोई तो है जो जीवन को जीवन्त बनाता है।

shikha varshney ने कहा…

अंतर्द्वंद की भावपूर्ण अभिव्यक्ति.

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι ने कहा…

सुन्दर अति सुन्दर, बधाई वन्दना जी।

बेनामी ने कहा…

vandna ji aapka jawab nahi

विभूति" ने कहा…

bhut khubsurat abhivakti...

Vivek Jain ने कहा…

बहुत ही गहरी रचना, बधाई और शुभकामनाएं |

- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

वाणी गीत ने कहा…

धूल भरी आँधियों सा चलता है मुझमे ...
बेहतरीन !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


परखना मत ,परखने से कोई अपना नहीं रहता ,कुछ चुने चिट्ठे आपकी नज़र

--

Maheshwari kaneri ने कहा…

वन्दना जी हमेशा की तरह गहन अभिव्यक्ति सुन्दर रचना ....

devendra gautam ने कहा…

bahut khoob...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

शांत सी दिखती जिंदगी अपने अंतस में कई ज्वालामुखी दबाये चल रही है...
गहन भावों की सुन्दर रचना ...

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

निकलती जब आह है उसमे डरता तब आसमान भी है उससे
रेत भी समंदर नज़र आता है उसमेदर्द से जब वो खिलखिलाता है मुझमे

बहुत सुंदर एवं गहन अभिव्यक्ति....

Dr Varsha Singh ने कहा…

हमेशा की तरह लाजवाब.....

Urmi ने कहा…

गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

रजनीश तिवारी ने कहा…

बहुत सुंदर कविता