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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

रीते बर्तनों की आवाज़ें कौन सुनता है?

आज सुबह से 

देखना क्या हो गया है

ना मै मुझे मिलती हूँ 
 
और ना ही कोई ख्याल
 
देखना ज़रा......... 
तुम्हारे पहलू मे तो

आराम नही फ़रमा रहा

मुआ सारा खज़ाना

चुराकर ले गया

रीते बर्तनों की आवाज़ें कौन सुनता है?

35 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

देखना जरा ---

सो गया ??

फिर

किधर को गया??



खूबसूरत प्रस्तुति ||

बधाई वन्दना जी ||

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना |

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत सुन्दर ! खुद से ही खुद को चुरा कर खोजने का मन करता है ! बहुत प्यारी रचना !

रश्मि प्रभा... ने कहा…

आज सुबह से
देखना क्या हो गया है
ना मै मुझे मिलती हूँ और ना ही कोई ख्याल
देखना ज़रा......... तुम्हारे पहलू मे तो
आराम नही फ़रमा रहा ... kya baat hai , khoobsurat hansi kaundh gai aapki

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत खूब ।

Anita ने कहा…

वाह, बहुत मासूम सी इल्तजा है इस कविता में.. बहुत बहुत बधाई !

nilesh mathur ने कहा…

सुंदर।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बेजोड़...बधाई स्वीकारें

नीरज

shikha varshney ने कहा…

जाने कहाँ कहाँ दुबक जाता है मुआं ...
क्या बात है बहुत सुन्दर रचना .

अनुपमा पाठक ने कहा…

स्वयं को ही तलाशती सुन्दर अभिव्यक्ति!

शारदा अरोरा ने कहा…

reete bartano kee aavaje echo karti hai...kalam haath me hai to bolegi bhi ...vaah ji vaah ..

shyam gupta ने कहा…

अच्छा अगीत है , अच्छी भावाव्यक्ति व प्रस्तुति ...बधाई ...
---परन्तु मेरे विचार से यह वाक्य.. "रीते बर्तनों की आवाज़ें कौन सुनता है?"...अनावश्यक पैवंद सा लगता है...असंबद्ध ..

Suresh kumar ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत रचना ......

Sunil Kumar ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति ........

Maheshwari kaneri ने कहा…

खूबसूरत प्यारी रचना !

Nirantar ने कहा…

nice one
रीते बर्तन शोर भी अधिक मचाते
हल्का से टकराने से भी जोर से गूंजते

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर कोमल अहसास... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

Unknown ने कहा…

खूबसूरत प्रस्तुति

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत ख़ूब mam...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रीते बर्तनों का शोर दुख देता है।

वाणी गीत ने कहा…

ये लो ...
रीते बर्तन ही तो ज्यादा शोर मचाते हैं:)

विभूति" ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुती....

बेनामी ने कहा…

शानदार......बेहतरीन............

वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

behad shandaar

मदन शर्मा ने कहा…

क्या बात है बहुत सुन्दर रचना .....

Asha Joglekar ने कहा…

वाह क्या खूब । अपने आप को खोजने के लिये भी तो गहरे पैठना होगा ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वह .. रीते बर्तनों की आवाज़ कौन सुनता है ... क्या बात कह डी आपने ...बहुत लाजवाब ..

rashmi ravija ने कहा…

रीते बर्तनों की आवाज़ कौन सुनता है ...

बहुत सुन्दर रचना.

prerna argal ने कहा…

wah bahut sunder gahan abhi byakti.bahut bahut badhaai aapko.

मनोज कुमार ने कहा…

कमाल ... अद्भुत!

'साहिल' ने कहा…

बहुत खूब, बड़ी प्यारी कविता है

ZEAL ने कहा…

great presentation Vandana ji , very appealing lines indeed.

रजनीश तिवारी ने कहा…

ना मैं, ना कोई ख्याल ...बहुत सुंदर

prerna argal ने कहा…

आपकी पोस्ट आज "ब्लोगर्स मीट वीकली" के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हमेशा ऐसे ही अच्छी और ज्ञान से भरपूर रचनाएँ लिखते रहें यही कामना है /आप ब्लोगर्स मीट वीकली (८)के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /जरुर पधारें /

Rakesh Kumar ने कहा…

ये क्या कह रहीं हैं वंदना जी आप.

मुआ सारा खज़ाना
चुराकर ले गया

कौन सा खजाना कौन चुरा ले गया जी ?