मेरी डायरी का
हर वो पन्ना
अब तक लाल है
जिस पर तुम्हारा नाम लिखा है
जिस पर तुम्हारे नाम संदेस लिखा है
जिस पर तुमसे कुछ लम्हा बतियायी हूँ
(जानते हो न डायरी ये कौन सी है .......दिल की डायरियों पर तारीखें अंकित नहीं हुआ करतीं )
जबकि सुना है
वक्त के साथ कितना भी सहेजो
पन्ने पीले पड़ जाते हैं
अब इसे क्या समझूँ ?
तुम्हारी प्रीत या मेरी शिद्दत .......जो आज भी जिंदा है
(एक मुद्दत हुयी ज़िन्दगी से तो खफा हुए .......)
12 टिप्पणियां:
गहरी लिखावट, मन में।
बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति....
दो महीने से आपकी रचनाओं ने एक दिशा ले ली है। आपकी रचनाएं एक जगे हुए व्यक्ति को जगाने की कोशिश कर रही है, इसलिए बेअसर है। नींद वाले व्यक्ति को ही जगाया जा सकता है।
सुंदर रचना के लिए शुभकामनाएं..
दिल से लिखी ---दिल पर लिखी --- दिल की इबारत ...... बहुत खूब
.बेहतरीन अभिव्यक्ति आभार . जनता की पहली पसंद -कौंग्रेस आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
बहुत सुन्दर भावों को प्रस्तुत किया है . भावों की गहनता ने बांध दिया .
सही कहा आपने यादों के कुछ पन्ने समय के साथ भी पीले नहीं पड़ते ..
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
आप की ये रचना 21-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
कुलदीप ठाकुर...
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
आप की ये रचना 21-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
कुलदीप ठाकुर...
आज की ब्लॉग बुलेटिन आसमानी कहर... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
इस डायरी के पन्ने कभी अनायास ही खुलने लगते हैं - टाइम, बेटाइम बड़ी विचित्र बात है !
bhaut hi abhivbaykti....
टिप्पणी पोस्ट करें