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मंगलवार, 21 जनवरी 2014

दो घूँट ज़िन्दगी के

चाहे खुद को मिटा देंगे 
मगर दिल ना किसी का दुखायेंगे 
जब ये वादा खुद से कर लेते हैं 
दो घूँट ज़िन्दगी के पी लेते हैं 

उसके चेहरे की हँसी के लिये 
अपने स्वाभिमान को छोड जब 
दोस्त के लिये झुक लेते हैं 
दो घूँट ज़िन्दगी के पी लेते हैं 

फिर चाहे घुट घुट कर जी लेंगे
अपने उसूलों से भी लड लेंगे
जुबाँ पर ना लाने का जब इरादा कर लेते हैं 
दो घूँट ज़िन्दगी के पी लेते हैं 

7 टिप्‍पणियां:

Mohinder56 ने कहा…

जल्दबाजी मेँ लिखी और पोसट की गई लगती है....आपके स्तर के अनुसार नहीँ लगी

रविकर ने कहा…

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीयचर्चा मंच पर ।।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

excellent .....abhiwayakti vandna jee ye sabhi nahi kar paate ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

किसी को जीवन में ऐसे घूँट पी के दूसरे की खुशियाँ मिल सकें जो ऐसे घूँट पीने में कोई बुराई नहीं ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है, वैष्णवजन बन जायें।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

शूट नहीं कर रहा आपके साथ :D
आप तो कई बार दिल दुखाने वाली बातें कहती हैं :)

vandan gupta ने कहा…

@Mukesh Kumar Sinha ha ha ha ......baabhu shoot se dar nahi lagta bachne se lagta hai :)