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मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

अफ़वाह

चरणबद्ध तरीके से फैलाकर 
भ्रांतियों का बाज़ार 
वो कर जाते हैं तुम्हें दरकिनार 
करके अफ़वाह का बाज़ार गरम 
सेंक लेते हैं कुछ रुमाली तो कुछ तालिबानी रोटियाँ 
करके तुम्हें हलाल 
सजा लेते हैं अपने लिए एक सम्मानित थाल 

आरती उतारने को जरूरत ही कितनी होती है 
सिर्फ़ एक घी से भरा दीप और तुम बन जाते हो भगवान 
हाँ भगवान, एक ऐसे भगवान 
जो खुद के द्वारा पोषित होता है 
जो स्वंय को सर्वेसर्वा सिद्ध करने को 
कर सकता है तुम्हारे खिलाफ़ अघोषित युद्ध 
बिना तीर तलवार के करके घायल 
हो जाता है सफ़ल कुछ निगाहों में 
मगर खुद की निगाह में ये छद्म सफ़लता 
क्या बना पाती है कोई मुकाम 
मापने को नहीं बने हैं अभी कोई यंत्र 

ये बाज़ार है प्यारे 
यहाँ अफ़वाहों के ओवन में पककर 
निकली खबरों पर ही राज किया जाता है 
और आज की ताज़ा खबर है ये 
अब तुम इस पर विश्वास करो या नहीं तुम पर निर्भर करता है 
तुम्हारी संभावनाओं का अंत करने को 
कोशिशों के तमाम उपकरण काम पर लगा दिए गये हैं 
क्या कर सकते हो तुम उन उपकरणों की पहचान 
जिसमें  एक कान से गुजरने पर 
और दूसरे कान तक पहुँचने तक 
जुड जाते हैं तमाम विशेष उपकरण 
ईर्ष्या और द्वेष के 
करने को तुम्हें खारिज 
तुम्हारी उपस्थिति से 
जहाँ सत्य के उन्ही घिसे पिटे उपकरणों के सहारे 
युद्ध करने पर हो जाते हो तुम निष्कासित 
वहाँ कैसे जीत सकते हो युद्ध तुम अफ़वाह के बाज़ार से 

सत्य के पथ को त्याग अपना सको तो अपना लो 
खुल जायेगी तुम्हारे यहाँ भी सफ़लता की ट्कसाल 
वरना मत करो उत्पात मत करो शोर 
जो खुद को नहीं ढाल सकते बाज़ार के चलन  में 
यही है दस्तूर सफ़ल व्यक्तित्व बनने को 
यदि थोडी कीचड कपडों पर लग भी जाए तो क्या 
पहचान और प्रसिद्धि कटिबद्ध रहेंगी तुम्हारे कदम चूमने को 

अफ़वाह का गर्म बाज़ार आज के जीवन में सफ़लता का मूलमंत्र है प्यारे !!!

जानकर सारी योजनायें भी 
सोचती हूँ इस बार 
फ़ँस ही जाऊँ जाल में 
क्योंकि वो हैं शिकारी और मैं हूँ उनका 
ईज़ी टारगेट उर्फ़ आसान शिकार !!!

8 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा बुधवार को
आज प्रियतम जीवनी में आ रहा है; चर्चा मंच 1900
पर भी है ।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढिया.....

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

हवा के साथ सफैलती है अफ़वाह ,पल-पल विस्तार पाती -और बचना मुश्किल होता है हवाओं से .

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)

Unknown ने कहा…

बहुत बढिया....
Publish Free story,poem, Ebooks with us

Unknown ने कहा…

बहुत बढिया....
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Rajesh Kumar Rai ने कहा…

बेहद खूबसूरत कविता।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 28/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!