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रविवार, 8 मई 2016

मदर्स डे ?

कहने को आज मदर्स डे है और कोशिश करेंगे सब खुद को माँ का खैरख्वाह सिद्ध करने की लेकिन क्या हम यकीन से कह सकते हैं कि कहीं ऐसा नहीं हो रहा होगा कि कहीं कोई माँ बेघर हो रही हो , बेटे उसे रखने को राजी न हो फिर चाहे सब कुछ उसी माँ का दिया हो जिसने उन्हें जन्म दिया , ज़िन्दगी भर जिनकी ख़ुशी के लिए सौ सौ खून के आंसू रोते रही लेकिन उफ़ नहीं की , सास , पति आदि सबके जुल्म सहती रही सिर्फ इसलिए कि एक दिन बड़े होकर ये बच्चे ही उसकी सबसे बड़ी पूँजी होंगे और वो ही बच्चे सिर्फ अपनी खुशियों के लिए एक माँ को आसरा न दे पायें , दो वक्त की रोटी न दे पायें , रहने को छत न दे पायें ............ क्या संभव नहीं कहीं आज ही के दिन ऐसा भी हो रहा हो ?

आज के समय में यदि शिक्षित और उच्च पद पर होते हुए भी यदि बेटों में इतनी भी संवेदना न बची हो क्या फायदा उस शिक्षा का . क्या फायदा उन मूल्यों का जो हमारे देश की , हमारी संस्कृति की धरोहर हैं ?

तभी ये कहने को दिल करता है :

ये कैसा चलन आया ज़माने का
सुनता है घुटती हुई चीखें
फिर भी सांस लेता है
दो शब्द अपनेपन के कहकर
कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है

काश ! उसने भी ऐसा किया होता
तेरी पहली ही चीख को
ना सुना होता
बल्कि अनसुना कर दबा दिया होता
फिर कैसे तेरा वजूद आज
सांस ले रहा होता
मगर इक उसने ही
वो दिल पाया है
जिसमे सिर्फ प्यार ही प्यार समाया है
जिसने ना कभी
अपनी ममता का
मोल लगाया है
सिर्फ तुझे हंसाने की खातिर
अपना लहू बहाया है
अपनी साँस देकर
तेरा जीवन महकाया है
जन्म मृत्यु के द्वार तक जाकर
तुझको जीवनदान दिया है
ये तू भूल सकता है
बेटा है ना ............
मगर वो माँ है ............

पारदर्शी शीशों के पीछे
सिसकती ममता
सिर्फ आशीर्वाद रुपी
अमृत ही बरसाती है
जिसे देखकर भी तू
अनदेखा किया करता है
जिसे जानकर भी तू
अन्जान बना करता है
सिर्फ उसके बारे में
दो शब्द बोलकर
अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ सकता है
ऐसा तो बेटा सिर्फ
तू ही कर सकता है

क्योंकि
अपनी उम्र को तो शायद तूने तिजोरी में बंद कर रखा है ...........

4 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 09 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (09-05-2016) को "सब कुछ उसी माँ का" (चर्चा अंक-2337) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

मार्मिक रचना ।

समयचक्र ने कहा…

सुंदर रचना बढ़िया पोस्ट .. मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ