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मंगलवार, 5 अगस्त 2008

भीगा सावन

बरखा की फुहारों ने तन मन भीगो दीया
सावन की बहारों ने मौसम बदल दीया
ऐसे भीगे मौसम ने कुछ याद दीला दीया
वो बचपन में बारीश में भीगना
वो सखियों के संग बारीश में नाचना
फिर हर पल मस्ती में झूमना
आज भी उन्ही पलों के लिए तरसना
हर लम्हा यादों में फिर जींदा कर दिया
हर सावन में बारीश की फुहारों में
उन्ही पलों को यादों में फिर से जीना
बचपन की याद दीला गया
हमको हमारे बचपन से मीला गया

2 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

bahut sundar racanaa hai.

Asha Joglekar ने कहा…

Bhaw achche hain par Bhasha ki shuddhata ka khyal rahe.