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बुधवार, 17 नवंबर 2010

मै तो

मै तो हर समय
खूबसूरत समय
मे जीती हूँ
ख्वाब मे नही
जीती हूँ
हकीकत के
धरातल पर
समय से
लड्ती हूँ

और समय को
अपने पल्लू मे
बाँध लेती हूँ

27 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

इस ज़ज़्बे को सलाम! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार-श्री गुरुवे नमः

कविता रावत ने कहा…

समय से
लड्ती हूँ
और समय को
अपने पल्लू मे
बाँध लेती हूँ
...sach mein jisne samay ko pahchan liya use pachhtana nahi padta..
bahut sundar prastuti.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यही हकीकत है ....सुन्दर अभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर ने कहा…

मै तो हर समय
खूबसूरत समय
मे जीती हूँ
ख्वाब मे नही
जीती हूँ
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया......बहुत सुंदर ....रचना....

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bahan vndnaa ji dhraatl pr ho jine ka yeh andaz vyvharik he behtrin vichaar or behtrin rchnaa mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

आपका जज्बा नारी को आत्मसम्मान की नई ऊंचाई पर ले जायेगा.. सुन्दर कविता...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यदि जीवन जीने में लग जायें तो समय पल्लू में बँध जाता है। बहुत सुन्दर कविता।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

समय की महत्ता रेखांकित करती पंक्तियाँ.

आशीष मिश्रा ने कहा…

बहोत ही सुंदर प्रस्तुति..................

अजय कुमार ने कहा…

सार्थक सोच की सुंदर अभिव्यक्ति ।

अनुपमा पाठक ने कहा…

is hausle ko naman!
sundar rachna!

#vpsinghrajput ने कहा…

बहुत सुन्दर है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

समय से
लड्ती हूँ
और समय को
अपने पल्लू मे
बाँध लेती हूँ
--
बहुत बढ़िया क्षणिका प्रस्तुत की है आपने!
--
अब आपकी सफलता का राज समझ में आ गया है!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

वाह! अब जब आपने समय को ही पल्लू में बाँध लिया तो फिर उससे ख़ूबसूरत समय और क्या हो सकता है.....

रानीविशाल ने कहा…

समय को अपने पल्लू से बाँध लेना बहुत बड़ी कला है . जिसे आगई वह न सदैव सच्चाई के धरातल पर रह सकता है बल्कि सहजता से उन्हें आत्मसाध भी कर लेता है ....बहुत भड़िया .

वाणी गीत ने कहा…

जिसके पल्लू में समय बंधा हो ...
हकीकत में भी खूबसूरत समय में जीता है !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... समय को बांधना ... लाजवाब कल्पना है ... पर आसान नहीं .. इस ज़ज़्बे को सलाम ....

राजकुमार सोनी ने कहा…

समय को पल्लू में बांध लेने का काम काफी कठिन है
आप इस कठिन काम को सरलता से कर पा रही है इसके लिए आपको बधाई

राजेश उत्‍साही ने कहा…

समय के धरातल पर हकीकत से लड़ना ही जिंदगी की खूबसूरती है। सही बात है।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ख़्वाब में नहीं
जीती हूं
हकी़कत के
धरातल पर

आत्मविश्वास से परिपूर्ण कविता।

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut hi complex compositions. practicality aur emotions dono hi ek saath bandhe hue hai ...amazing post ..vandana , this is one of your very bests.

JAGDISH BALI ने कहा…

Very pragmatic !

JAGDISH BALI ने कहा…

Very pragmatic !

POOJA... ने कहा…

बस यही कला मुझे भी सीखनी है...

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

vandana ji
bahut hi sarthak aurumda soch .kash!aapki tarah sabhi ke man me sakaratmkpurn vichar banane lage to kam se kam nirashavaadi pravriti thodi to kam ho hi jayegi.is sakaratmak vichar ke liye aapko badhai .apni is soch par nirasha vaad ko na haavi hone dijiyega.
poonam

रश्मि प्रभा... ने कहा…

tabhi to ...
zindagi bharti hun
zindagi likhti hun

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

पंक्तियों ने दिल छू लिया......बहुत सुंदर ....रचना....