कुच्छ तो कहें
किसी से तो कहें
दिल की बातें
यूँ ही हर किसी से
तो नही कही जाती
कुच्छ बातें
सिर्फ़ दिल से ही
की जाती हैं
कहने को तो
बहुत कुच्छ
होता है
मगर..........
किस से कहें
इसका जवाब ही
नही मिल पाता है
कुच्छ कहना
चाहकर भी
दिल कुच्छ
नही कह पाता है
इस बेबसी को सिर्फ़
वो दिल ही जान पाता है
जो कुच्छ कहने
और न कहने की
उलझन में
उलझता जाता है
शुक्रवार, 21 नवंबर 2008
शुक्रवार, 14 नवंबर 2008
खोज
मन की सुनसान राहों पर
कुछ खोजना चाहते हैं
किसी को पाना चाहते हैं
मगर
क्या यह डगर इतनी आसां हैं
क्या वो हमें मिलेगा
जिसे हम खोजने चले हैं
काश
इतना आसां होता ?
अपने अस्तित्व को मिटा कर
किसी को खोजा जाता हैं
ख़ुद को मिटा कर ही
ख़ुद को पाया जाता हैं
कुछ खोजना चाहते हैं
किसी को पाना चाहते हैं
मगर
क्या यह डगर इतनी आसां हैं
क्या वो हमें मिलेगा
जिसे हम खोजने चले हैं
काश
इतना आसां होता ?
अपने अस्तित्व को मिटा कर
किसी को खोजा जाता हैं
ख़ुद को मिटा कर ही
ख़ुद को पाया जाता हैं
मंगलवार, 4 नवंबर 2008
सपनों को पूरे होते देखना और उनके साथ जीना ,यह अहसास सिर्फ़ वो ही महसूस कर सकता है जिसने उनके साथ वो लम्हे बिताये हों। सच ज़िन्दगी में हर सपना पूरा होता है मगर अपने वक्त पर,वक्त से पहले नही । हम कभी कभी वक्त से पहले कुच्छ सपनों को पूरा करना चाहते हैं मगर ऐसा नही हो सकता क्यूंकि हर काम का इक वक्त होता है। ज़िन्दगी हर सपना पूरा करती है बस हमें ही सब्र नही होता। अगर हम में कुच्छ धैर्य हो तो क्या है वो चीज़ जिसे हम पा न सकें। अपने सपनो में तो हम ता-उम्र डूबते उतरते रहते हैं मगर जब वो पूरे होते हैं तो उस अहसास को हम चाहकर भी नही बाँट पाते क्यूंकि जिसकी चाहत होती है वो ही उसे समझ सकता है दूसरा कोई नही इसलिए सपने बाँट नही सकते और न ही उन्हें पाने की खुशी ।
इक सपना देखा था मैंने
हर पल आंखों में पलते
उस सपने को पंख भी दिए
परवाज़ भी दी उसे
अब सिर्फ़ एक हवा के झोंके की जरूरत थी
वो भी आया न मालूम कहाँ से
और वो सपना जो सपना था
वो हकीकत बन गया
इक सपना देखा था मैंने
हर पल आंखों में पलते
उस सपने को पंख भी दिए
परवाज़ भी दी उसे
अब सिर्फ़ एक हवा के झोंके की जरूरत थी
वो भी आया न मालूम कहाँ से
और वो सपना जो सपना था
वो हकीकत बन गया
शनिवार, 1 नवंबर 2008
जिसे खोजती हूँ गली गली
मुझी में छुपा है वो कहीं
यह जानती हूँ मगर
फिर भी उसे सामने
ला नही पाती
कैसे ढूँढूं ,किस्से पता मीले
कोई तो मिला दे मुझे
मेरे श्याम से
एक दर्श दिखा दे
नैना तरस रहे हैं
एक झलक को
कैसे मिलोगे
कुच्छ तो बताओ
कभी सपने में ही आ जाओ
कहाँ तुम्हें पाऊँ में
अब तो बता जाओ
जान पर बन रही है
मिलने की तड़प भारी है
कोई तो बताये कहाँ खोजूं
कैसे तुम्हें खोजूं
कहाँ मिलोगे
कब मिलोगे
कैसे मिलोगे
अब तो हार गई हूँ
अब आ के संभल लो
मुझी में छुपा है वो कहीं
यह जानती हूँ मगर
फिर भी उसे सामने
ला नही पाती
कैसे ढूँढूं ,किस्से पता मीले
कोई तो मिला दे मुझे
मेरे श्याम से
एक दर्श दिखा दे
नैना तरस रहे हैं
एक झलक को
कैसे मिलोगे
कुच्छ तो बताओ
कभी सपने में ही आ जाओ
कहाँ तुम्हें पाऊँ में
अब तो बता जाओ
जान पर बन रही है
मिलने की तड़प भारी है
कोई तो बताये कहाँ खोजूं
कैसे तुम्हें खोजूं
कहाँ मिलोगे
कब मिलोगे
कैसे मिलोगे
अब तो हार गई हूँ
अब आ के संभल लो
सदस्यता लें
संदेश (Atom)