आज मोहब्बत चरम पर है शायद
तभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं
ए .........एक बार पुकार लो ना
मेरे मन के रेगिस्तान मेंतभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं
ए .........एक बार पुकार लो ना
जब से तुम्हारे प्रेम का
फूल खिला है सनम
अब कैक्टस भी
गुलाब नज़र आता है
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया
क्या मौसम जवाँ हो गया है
या दिल बेकाबू हो गया है
जो तुम इतना याद आ रहे हो
ए .........एक बार पुकार लो ना
शायद दिल कुछ सम्हल जाये
शायद अरमान कुछ निकल जायें
शायद इक हसरत ही निकल जाये
दिल की जुस्तजू परवान चढ जाये
बस ………एक बार पुकार लो ना