चलिए
देश बदल गया
विकास हो गया
अब और क्या चाहिए भला ?
जो जो आप सबने चाहा
उन्होंने दिया
अब जो भी विरोध करे
देशद्रोही गद्दार की श्रेणी का रुख करे
आइये गुणगान करें
क्योंकि
अच्छे दिन की यही है परिभाषा
आँख पर लगा काला चश्मा प्रतीक है
हमारी निष्ठा और समर्पण का
शुभ है
लाभ है
उसके बाद जो कहा
सब बकवास है
नतमस्तक होना आदत है हमारी
फिर चाहे हर बार रेती जाए गर्दन ही हमारी
चलो
खुश रहो
और उन्हें भी रहने दो
देश बदल रहा है ...........अब मान भी लो
ज़िन्दगी और मौत का खेल तो नियति है
डिसक्लेमर :
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©वन्दना गुप्ता vandana gupta इस पोस्ट या इसका कोई भी भाग बिना लेखक की लिखित अनुमति के शेयर, नकल, चित्र रूप या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयोग करने का अधिकार किसी को नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है निर्धारित क़ानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।