पानी आँख का सूख जाए
पानी जिस्म का सूख जाए
पानी संबंधों के मध्य भी सूख जाए
नहीं फर्क पड़ेगा सृष्टि को
जहाँ जल ही जीवन हो
वहाँ पानी के सूखने से
समाप्त हो जाती हैं प्रजातियाँ
समाप्त हो जाती हैं सभ्यताएं
जैसे जीवन के लिए साँसों का होना जरूरी है
जैसे जीवन के लिए भोजन जरूरी है
वैसे ही जीवन के लिए पानी जरूरी है
अगला विश्व युद्ध पानी के लिए हो
उससे पहले आवश्यक है
जागृत होकर एक एक बूँद संजोना
पानी केवल जीवन ही नहीं
वरदान है
अमृत है
धरोहर है
संजो सको तो संजो लो
वो वक्त आने से पहले
जहाँ अवशेषों से होगी निशानदेही अस्तित्व की
और कहेगा कोई पुरातत्वविद फिर किसी युग में
हाँ, जिंदा थी कभी यहाँ भी एक सभ्यता
जो जान न सकी विकास के मायने
अपना ही दोहन स्वयं करती रही
आँख पर पट्टी बाँध चलती रही
क्या आवश्यक है हर युग में गांधारी का जन्म?