अब न तुम्हारी याद
तुम्हारा ख्याल
और ना ही तुम
कोई नही होता
आस पास मगर
फिर भी
उदास हूँ मैं………
ना कोई काँटा
ना कोई टीस
ना कोई चाहत
अब पांव पसारती है
फिर भी
उदास हूँ मैं………
न कोई सपना
आंखो मे सजता है
ना कोई अरमान
दिल मे जगता है
ना कोई प्रीत
सहलाती है
मगर
फिर भी
उदास हूँ मैं………
तुम्हारा ख्याल
और ना ही तुम
कोई नही होता
आस पास मगर
फिर भी
उदास हूँ मैं………
ना कोई काँटा
ना कोई टीस
ना कोई चाहत
अब पांव पसारती है
फिर भी
उदास हूँ मैं………
न कोई सपना
आंखो मे सजता है
ना कोई अरमान
दिल मे जगता है
ना कोई प्रीत
सहलाती है
मगर
फिर भी
उदास हूँ मैं………
39 टिप्पणियां:
मन में आशाओं को बहने दीजिये।
ये मन बड़ा पाजी है जी .आप तो सत्-चित -आनन्द का ही तो अंश हैं.फिर यह उदासी कैसी ?अभी होली का खुमार उतरा ही नहीं और साँवरिया के रंग में रंगी आप अब उदास ?
फिर से एक बार 'बिनु सत्संग बिबेक न होई' पर आ जाईये.सब उदासी छंट न जाये तो कहना.
बहुत अच्छी रचना, दीदी...
बहुत अच्छी रचना, दीदी....
दीदी,बहुत अच्छी रचना..
बेहतरीन!
न कोई सपना
आंखो मे सजता है
ना कोई अरमान
दिल मे जगता है
ना कोई प्रीत
सहलाती है
मगर
फिर भी
उदास हूँ मैं………
उदासी का कारण भी निगोड़ी प्रीत ही है. शुभकामना.
इतना सब कुछ नहीं है तो मन उदास होगा ही ना ..
बहुत ही सुन्दर रचना होली के मौके पर !
आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
aadat jo thi...
वंदना जी,
ऐसे उदास न रहो......हंसो, बोलो राज़ दिल के खोलो
कभी-कभी यूं ही उदास रहने को मन करता है।
इसके बाद तो जीने की इच्छा और बढ जाती है।
मुझे तो ऐसा ही लगता है। और ऐसी मनःस्थिति में मैं ऐसी ही कविता लिखता।
मेरे मन को छू गई यह रचना।
फिर भी
उदास हूँ मैं………
kabhi kabhi aisi hi hoti hai ye udasi. bahut achchi rachna. shubhkamnayen.
....क्यों न उदासी की तुलना काले बादलों से की जाए वंदना!...जो जब तक छंट नहीं जाते,ऐसा लगता है कि अब आगे कुछ भी नही है!...लेकिन बादल छंट ही जाते है और सुनहरी धूप फिर खिल उठती है!...बहुत सुंदर, दिल को छू लेने वली रचना!
कितनी गहराई से याद आ उठी है कि यह समझना मुश्किल हो गया है कि कोई याद भी आ रहा है। प्रेम की स्वीकारोक्ति की यह महत्तम ऊंचाई है।
prem ke jab karan nahi honge udasi hogi... udasi tabhi hogi jab prem hoga... sundar kavita...
जीवन में संतुलन के लिए उदासी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी प्रसन्नता।
सुंदर भावपूर्ण रचना।
होली पर्व की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं।
दिल को गहराई से छू लेने वाली खूबसूरत रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
भावपूर्ण..
अब न तुम्हारी याद
तुम्हारा ख्याल
और ना ही तुम
कोई नही होता
आस पास मगर
फिर भी
उदास हूँ मैं……
--
नाजुक शेरों से सजी मार्मिक अभिव्यक्ति!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
उदासी से भरी लेकिन अच्छी लगी आप की कविता, धन्यवाद
कुछ न होना भी तो उदासी का कारण हो जाता है
बड़ी ख़ूबसूरती के साथ भावों को समेटा है आपने इस रचना में... बहुत खूब!
भावपूर्ण रचना .....
प्रेम की ऊंचाई में बहुत कुछ न होते हुए भी 'उदासी' में सब कुछ है | दूरी का आभास है , दूरी नहीं !
उदास मन ..होली के रंगों से अछुता...बहुत ही सुन्दर रचना....
कहीं उदासी का कारण इतना निर्विकार हो जाना तो नही है....इतनी तटस्थता ...इतना निस्पृह भाव........न कोई अरमान दिल में जगता है....न कोई प्रीत सहलाती है
न कोई कांटा न कोई टीस
आखिर ये उदासी क्यूँ ????? बहुत सुन्दर रचना वंदना जी ...पहलीबार आपको पढ़ रहा हूँ और बिना लागलपेट के कह रहा हूँ कि आपको पढना सुखद है, धन्यवाद!!
bahut bahut sundar abhivyakti...kabhi kabhi aisa bhi hota hai..
I would recommend u to taste this feeling completely.It is , I believe, one of the major ingredients of world's best creations.
Regards.
बेहतरीन शब्द रचना ।
जग जीवन से असम्प्रक्तता इसी उदासी के परिणामस्वरूप है ! बहुत ही सुन्दर एवं गहन रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ह्रदय की रिक्तता को व्यक्त करती सुन्दर कविता ।
शायद यह अंतर्द्वन्द का सोपान है
man khali khali hai na is liye udas hai...ise kaise bhi ehsaason se bhara rakhiye. :) and keep smile.
उदासी में भी एक मज़ा है , देखिये इस शेर में:-
उदासी तबीयत पे छा जायेगी.
उन्हें जब मेरी याद आ जायेगी.
अब बताइए,सही कहा था न मैंने.
मर्म को छू गई
ये पंक्तियां
ना कोई काँटा
ना कोई टीस
ना कोई चाहत
अब पांव पसारती है
फिर भी
उदास हूँ मैं…
शायद पूरी कविता
बहुत सुन्दर रचना ! कभी कभी मन यूँही उदास हो जाता है ...
बहुत अच्छे भाव व उत्तम अभिव्यंजना शैली है ।
सुधा भार्गव
एक टिप्पणी भेजें